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US Supreme Court: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नस्ल-जाति आधारित नामांकन पर लगाई रोक

India News(इंडिया न्युज),US Supreme Court: अमेरिका की सु्प्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। जहां विश्वविद्यालय में नस्ल-जातीयता के आधार पर हो रहे नामांकन की प्रथा पर रोक लगा दी है। मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट(US Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने विश्वविद्दालय में नस्ल और जातीयता के […]

BY: Shubham Pathak • UPDATED :
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India News(इंडिया न्युज),US Supreme Court: अमेरिका की सु्प्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। जहां विश्वविद्यालय में नस्ल-जातीयता के आधार पर हो रहे नामांकन की प्रथा पर रोक लगा दी है। मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट(US Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने विश्वविद्दालय में नस्ल और जातीयता के आधार पर हो रहे नामांकन की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए कहा कि, नस्ल-आधारित प्रवेश कार्यक्रमों की सख्त जांच होनी चाहिए, नस्ल को कभी भी रूढ़िवादिता या नकारात्मक के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए और यह किसी बिंदु पर समाप्त होना चाहिए।

इसके बाद मुख्य जज ने फैसले में कहा कि, इस तरह की कोई प्रथा हमेशा के लिए नहीं रह सकती और इस तरह की प्रथा दूसरों के खिलाफ असंवैधानिक भेदभाव है। छात्र के साथ एक व्यक्ति के रूप में उसके अनुभवों के आधार पर व्यवहार किया जाना चाहिए, नस्ल के आधार पर नहीं। हमारा संवैधानिक इतिहास इस विकल्प को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। बता दें कि, सुनवाई हार्वर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (UNC) जैसे प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रवेश से संबंधित थी।

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न्यायमूर्ति सोनिया ने कही ये बातें

इसके बाद न्यायमूर्ति सोनिया सोतोमयोर ने अल्पसंख्यक निर्णय के लिए अपने नोट में लिखा कि, यह फैसला दशकों की मिसाल और महत्वपूर्ण प्रगति को पीछे ले जाता है। यह मानता है कि ऐसे महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए कॉलेज प्रवेश में दौड़ का अब सीमित तरीके से उपयोग नहीं किया जा सकता है। जाति को नजरअंदाज करने से समाज में समानता नहीं आएगी।

जो बाइडन ने दी प्रतिक्रिया

वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, वह विश्वविद्यालय प्रवेश निर्णयों में नस्ल और जातीयता के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दृढ़ता से असहमत हैं। इसके बाद राष्ट्रपति बाइडन ने ये भी कहा कि, यह फैसला दशकों की मिसाल से दूर चला गया।

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