India News (इंडिया न्यूज), Government Asset Monetization : केंद्र सरकार आने वाले समय में देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को और भी ज्यादा मजबूती देने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। जानकारी के मुताबिक इस राशि का इस्तेमाल नई परियोजनाओं के शुरूआत के अलावा पहले से चल रही पुरानी परियोजनाओं को विस्तार देने में भी होगा। इस ऐलान के बाद से ये सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार इतनी बड़ी धनराशि आखिर लाएगी कहां से? कल संसद में बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सवाल का जवाब दिया है। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार इसके लिए सरकारी एसेट का मोनेटाइजेशन करेगी।
इसके अंतर्गत सरकार चुनी गई सरकारी संपत्तियों को या तो पूरी तरह से बेचकर पैसा कमाएगी या उनमें अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर पैसा निकालेगी। संपत्ति को भाड़े पर देकर पैसा जुटाना या किसी सरकारी कंपनी का विनिवेश भी मोनेटाइजेशन के तहत ही आता है। इसके लिए आम तौर पर अपेक्षा से कम फायदा देने वाली या बिल्कुल बेकार पड़ी सरकारी संपत्तियों को चुना जाता है।
Government Asset Monetization : सरकारी संपत्तियों का मोनेटाइजेशन
बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार एसेट मोनेटाइजेशन के जरिए राशि इक्ठा करेगी इससे पहले भी साल 2021 में भी भारत सरकार ने एसेट मोनेटाइजेशन किया था। उस वक्त एसेट मोनेटाइजेशन की पहल काफी सफल रही थी। इससे सरकार के खजाने में काफी राशि जमा हो गई थी और बेकार पड़ी सरकारी संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग किया गया था। इनसे लगभग छह लाख करोड़ की आमदनी भारत सरकार को हुई थी। उससे इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं के लिए अच्छी खासी राशि भारत सरकार के खजाने में आ गई थी।
एसेट मोनेटाइजेशन के लिए भारत सरकार ने 2025-2030 तक पांच साल की अवधि तय की है। इस प्रोसेस में अगर कोई कानून या रेगुलेशन बाधा बनते हैं तो एसेट मोनेटाइजेशन के लिए सरकार इनमें भी सुधार करेगी। सबसे पहले मोनेटाइजेशन के लिए एसेट को पहचानने का क्रम चलेगा। फिर इनकी सूची तैयार कर मोनटाइजेशन के लिए नीलामी या दूसरी प्रक्रियाओं का सहारा लेगी।
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