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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
एक के बाद एक सरकारी कंपनियों को सरकार प्राइवेट कर रही है। हाल ही में सरकार ने एयर इंडिया और उसके बाद एलआईसी में 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची है। वहीं अब सरकार हिंदुस्तान जिंक में अपने पूरी 29.54 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने जा रही है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने हिंदुस्तान जिंक में हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दे दी।
मौजूदा समय में हिंदुस्तान जिंक में सरकार की लगभग 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इसकी वैल्यू 39,385 करोड़ रुपए है।
इस खबर के बाद Hindustan Zinc के शेयरों में आज 7 फीसदी का उछाल आ गया। हालांकि हिंदुस्तान जिंक का शेयर 4.10 प्रतिशत बढ़कर 307.50 रुपए पर बंद हुआ। लेकिन इंट्राडे में ये 318 रुपए तक पहुंच गया था।
जानकारी के लिए बता दें कि अभी Hindustan Zinc में अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता प्रमोटर की हैसियत में है। सरकार ने 2002 में हिंदुस्तान जिंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी थी। इस दौरान वेदांता ग्रुप ने सरकार की हिस्सेदारी खरीदी थी। ग्रुप ने बाद में हिंदुस्तान जिंक की और हिस्सेदारी खरीदी जिससे कंपनी में वेदांता ग्रुप की कुल हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 फीसदी तक पहुंच गई।
दरअसल, केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 65,000 करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य रखा है। पवन हंस, शिपिंग कॉरपोरेशन आफ इंडिया, IDBI Bank और भारत पेट्रोलियम की रणनीतिक बिक्री में देरी और LIC के आईपीओ साइज में कमी के कारण से सरकार को अन्य विकल्पों के बारे में सोचना पड़ा। LIC के आईपीओ से सरकार पहले ही 20,560 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।
वित्त वर्ष 2021-2022 में सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई थी। ऊकढअट के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक सरकार को विनिवेश से केवल 13,561 करोड़ रुपए मिले, जो 1.75 लाख करोड़ रुपए के टारगेट से 1.61 लाख करोड़ रुपए कम है।
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