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Hindenburg की रिपोर्ट 'भारत और भारतीयों पर हमला'; हरीश साल्वे

(दिल्ली) : अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ब्लूमबर्ग के अनुसार कंपनी के शेयर 50 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं। इनमें गिरावट अभी भी लगातार जारी है। आज की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, […]

BY: Ashish kumar Rai • UPDATED :
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(दिल्ली) : अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ब्लूमबर्ग के अनुसार कंपनी के शेयर 50 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं। इनमें गिरावट अभी भी लगातार जारी है। आज की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी दुनियाभर में सबसे अमीर लोगों की सूची में 20 वें नंबर पर पहुंच चुके हैं।

वहीं, हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट पर देश के मशहूर वकील हरीश साल्वे ने अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी का बचाव किया है। साल्वे ने कहा है कि किसी भारतीय व्यवसायी की वैश्विक उपस्थिति से कोई खुश नहीं रह सकता है। इस तरह की रिपोर्ट तो आनी ही थी। बता दें, साल्वे ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा है कि अडानी समूह पर लगाए गए अधिकांश आरोप सही नहीं लगते। उन्होंने यह भी कहा कि गौतम अडानी की अधिकांश संपत्ति रेग्युलेटेड है। उनकी अधिकतर कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं। जिनके सारे रिकॉर्ड पब्लिक डोमेन में हैं।

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Gautam-Adani

अडानी ग्रुप का किया बचाव

मालूम हो, अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर साल्वे ने कहा कि अगर किसी लिस्टेड कंपनी की कोई भी और कहीं भी सब्सिडियरी कंपनी है तो उसे अपनी बैलेंसशीट में दिखाना होता है। इसमें कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में बैंक गहन जांच-पड़ताल करने के बाद ही लोन नहीं देते हैं। अडानी को लोन देने वाले बैंकों ने भी ऐसा किया होगा।

‘भारत और भारतीयों पर हमला’

आगे साल्वे ने हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट को भारत और भारतीय व्यापारियों पर एक तरह का हमला बताया। उन्होंने कहा कि भारत के विकास को प्रभावित करने की यह कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा, “एक समय था जब ब्रिटिश उद्योगपतियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया जाता था। अब ब्रिटिश सरकार निवेश के लिए भारतीयों को लुभा रही है। भारत अपनी पुरानी छवि से बाहर आ गया है और दुनिया में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इस बदलाव के ऐसे नतीजे तो सामने आने ही थे।”

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर कानूनी कार्रवाई को लेकर बोले

वहीं, हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई को लेकर हरीश साल्वे ने कहा कि यह मामला बेहद पेचीदा है। उन्होंने कहा कि भारत में विदेशी कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोई लीगल सिस्टम नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अडानी मानहानि का मुकदमा भी करते हैं तो यह बेहद लंबी प्रक्रिया होगी।

साल्वे ने आगे कहा कि अडानी विपक्ष के लिए बलि का बकरा हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि SEBI को इस संबंध में अडानी से 72 घंटों में जवाब मांगना चाहिए। उनसे हर आरोप पर चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने सेबी की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने की बात कही।

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