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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
IPO New Rules in India आईपीओ के लिहाज से साल 2021 बहुत ही अहम रहा है। इस साल बहुत सी कंपनियों के आईपीओ जारी हुए हैं जिससे ज्यादातर निवेशकों को काफी फायदा हुआ है। लेकिन अब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा आईपीओ से संबंधित नियमों में कुछ बदलाव किये गए हैं।
अब निदेशक मंडल ने IPO से प्राप्त राशि के इस्तेमाल से जुड़े नियमों को सख्त कड़ा कर दिया है। इसके तहत, आईपीओ लाने वाली कंपनियों को बाजार से जुटाई गई राशि के जरिए किए जाने वाले अधिग्रहण का खुलासा करना होगा। सेबी ने आईपीओ से प्राप्त राशि का इस्तेमाल भविष्य में किसी अधिग्रहण लक्ष्य के लिए करने की सीमा तय की है।
ये निर्णय SEBI के निदेशक मंडल की बैठक में लिए गए हैं। बैठक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई), वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), म्युचुअल फंड और समाधान प्रक्रिया से जुड़े नियमों में भी बदलाव का फैसला किया गया।
निदेशक मंडल की बैठक के बाद SEBI ने कहा कि शेयरहोल्डर्स द्वारा आफर फॉर सेल के तहत शेयरों की बिक्री के लिए कुछ शर्तें लगाई गई हैं। अब एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन की अवधि बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है। सेबी ने इकाइयों द्वारा अंतिम समाधान आवेदन दाखिल करने की समयसीमा को भी तर्कसंगत बनाते हुए 60 दिन कर दिया है। (IPO New Rules in India)
यह सीमा कारण बताओ नोटिस मिलने की तारीख से लागू होगी। इसके अलावा बाजार नियामक ने पूंजी जारी करने और खुलासा अनिवार्यताओं से जुड़े नियमनों में बदलाव को भी मंजूरी दी। इसके अलावा सेबी ने नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए आवंटन के तौर-तरीकों में भी बदलाव का फैसला किया है। (IPO New Rules in India)
सेबी ने कहा कि कई टेक्नोलॉजी कंपनियां ऐसे उद्देश्यों के लिए फंड जुटाने का प्रस्ताव करती हैं, जो इस तरह के विस्तार की पहल से संबंधित होता है। वहीं सामान्य कॉपोर्रेट उद्देश्यों के लिए जुटाई गई राशि को निगरानी के तहत लाया जाएगा और इसके इस्तेमाल का खुलासा निगरानी एजेंसी की रिपोर्ट में किया जाएगा। इस रिपोर्ट को वार्षिक के बजाय अब तिमाही आधार पर विचार के लिए आडिट कमेटी के सामने रखा जाएगा । (IPO New Rules in India)
SEBI ने आफर फॉर सेल के जरिए कंपनियों के शेयरधारकों के शेयर बेचने पर भी सीमा निर्धारित की है। इसके तहत जिन शेयरहोल्डर्स की किसी कंपनी में हिस्सेदारी 20 फीसदी से ज्यादा है, वे ऑफर फॉर सेल के जरिए केवल अपने आधे शेयर्स ही बेच पायेंगे। जिन निवेशकों की 20 फीसदी से कम हिस्सेदारी है वे आॅफर फॉर सेल में कुल होल्डिंग के 10 फीसदी शेयर ही आईपीओ में बेच सकेंगे।
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