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Indian Economy: तमाम रूकावटों के बाद भी बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था, रिजर्व बैंक ने दिया यह रिपोर्ट

Rajesh kumar • LAST UPDATED : March 1, 2024, 1:37 pm IST

India News (इंडिया न्यूज),Indian Economy: हाल के दिनों में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से, रूस-यूक्रेन युद्ध और परिणामी ऊर्जा संकट ने यूरोपीय देशों के विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल का कहना है कि तमाम बाहरी कठिनाइयों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

भू-राजनीतिक स्थिति बनी नाजुक

हालांकि, आशिमा ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अपना लचीलापन बढ़ाना होगा, क्योंकि भू-राजनीतिक स्थिति नाजुक बनी हुई है। उन्होंने देश में महंगाई कम होने को अच्छी खबर बताया। उन्होंने कहा कि महंगाई कम हुई है, लेकिन अभी तक यह उस स्तर पर नहीं आई है, जिस स्तर पर हम इसे लाना चाहते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे प्रदर्शन की वजह बताते हुए आशिमा ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था में विविधता बढ़ रही है। हमने बेहतर नीतिगत बदलाव भी किये। इन दोनों चीजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने में मदद की।

वर्ष 2025-26 में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी

अगले वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि घरेलू खपत में सुधार और निजी पूंजी व्यय चक्र में तेजी के चलते वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रह सकती है। आशिमा ने कहा कि चूंकि भू-राजनीति नाजुक बनी हुई है, इसलिए हमें नीतिगत बदलावों के जरिए अर्थव्यवस्था को लचीला बनाए रखने में मदद करने की जरूरत है।

हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि महंगाई कम करने का केंद्रीय बैंक का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। अगर हमने नीतिगत मोर्चे पर कोई लापरवाही की तो अब तक हमने जो भी सफलता हासिल की है, वह भी बेकार हो जाएगी।

भविष्य में बदल जाएगी भारत की दिशा-दशा

आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहतर दक्षिण-पश्चिमी राज्यों ने यह कहकर बहस शुरू कर दी थी कि उत्तर-पूर्वी राज्यों को ‘सब्सिडी’ देना ग़लत है। इससे जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मशहूर अर्थशास्त्री गोयल ने कहा कि इस तरह की सब्सिडी देना वित्तीय महासंघ के कामकाज का हिस्सा है। इसकी दिशा अतीत में अलग थी और भविष्य में फिर बदल जाएगी क्योंकि अन्य राज्य भी विकसित होंगे।

आशिमा से पूछा गया कि कहा गया था कि ग्रामीण मजदूरी में महंगाई के हिसाब से बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन पिछले एक दशक में इसमें शायद ही कोई बढ़ोतरी हुई है। इस पर उन्होंने कहा कि कई ग्रामीण श्रमिक परिवारों को मुफ्त भोजन समेत कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, इसलिए उनकी मजदूरी में बढ़ोतरी महंगाई से ज्यादा हुई है।

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