Dr. Satya Ramani Vadalmani
Dr. Satya Ramani Vadalmani: डॉ. सत्या रमणी वडल्मानी उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती दवाओं के निर्माण के कारण फार्मास्युटिकल्स की दुनिया में मशहूर नाम हैं। फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में इन्हें 28 से ज्यादा वर्षों का अनुभव है, फिलहाल ये मुरली कृष्णा फार्मा प्राइवेट लिमिटेड की चेयर पर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। 4 निदेशकों और 200 से अधिक कर्मचारियों की टीम के साथ आज मुरली कृष्णा फार्मा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की दुनिया भर में प्रतिष्ठा है। डॉ. सत्या रमणी वडल्मानी रणनीतिक प्रबंधन में पीएचडी और एमबीए के साथ कंपनी को कुशल नेतृत्व प्रदान कर रही हैं।
डॉ. सत्या मूलत: इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर हैं। डॉ. वडल्मानी का पेशेवर करियर 1992 में शुरू हुआ जब उन्होंने आर्मर केमिकल्स लिमिटेड के साथ दवा उद्योग में काम करना शुरू किया। बाद में बायोकेम सिनर्जी लिमिटेड और अजंता फार्मा लिमिटेड सहित कई उल्लेखनीय संगठनों के साथ काम करने के बाद, डॉ. वडल्मानी अजंता फार्मा में अंतर्राष्ट्रीय विपणन की महाप्रबंधक के रूप में अपने करियर के शिखर पर पहुंचीं।
कंपनी ने चिकित्सीय क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में महत्वपूर्ण विशेषज्ञता विकसित की है, जिसमें ऑन्कोलॉजी, नेत्र विज्ञान, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और ट्रांसडर्मल थेरेपी शामिल हैं। नवाचारों के माध्यम से कंपनी ने न केवल मौजूदा दवाओं की प्रभावकारिता में सुधार किया है, बल्कि उन्नत वितरण तंत्र वाली नई दवाओं के विकास को भी सुगम बनाया है। डॉ. सत्या रमणी वडल्मानी के पिता आईआईटी बॉम्बे में प्रोफ़ेसर थे और उनकी मां एक शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। इस शैक्षणिक वातावरण ने जीवन और करियर के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार दिया और उनमें ज्ञान, अनुशासन और उपलब्धि के महत्व को स्थापित किया। मुरली कृष्णा फार्मा प्राइवेट लिमिटेड ने अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) विभाग के साथ, लगातार नवाचार और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर खुद को अलग पहचान दिलाई है।
कंपनी ने यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और मध्य पूर्व की दवा कंपनियों के साथ सफलतापूर्वक मजबूत संबंध बनाए हैं, जो इसके वैश्विक विकास का अभिन्न अंग रहा है।प्रमुख जर्मन दवा कंपनियों के साथ सहयोग ने MKPPL की पहुंच को और बढ़ाया है, जिससे कंपनी यूरोपीय बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रवेश कर सकी है।
डॉ. वडलमणि के बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी कार्य वातावरण बनाने के दृष्टिकोण का भी हिस्सा है, जो कर्मचारियों को विकास के व्यापक अवसर प्रदान करता है।डॉ वडल्मानी ने 2004 में जब इन्होंने कंपनी शुरू की तो इन्होंने तभी निर्णय लिया कि वो किसी भी सॉलवेंट का इस्तेमाल नहीं करेंगी जबकि उस समय आईसीएच गाइडलाइंस के मुताबिक 5000 पीपीएम तक सॉलवेंट हो सकते थे लेकिन इन्होंने उन दिनों ही ग्रीन रिवोल्यूशन के तौर पर नई इको सिस्टम के लिए शानदार पहल की थी। कंपनी ने भारत सरकार के मानक के अनुरुप ही हमेशा दवाओं का उत्पादन किया है।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुसार भी आज कुछ दवाओं के उत्पादन किए जा रहे हैं, जिसमें एनिमिया मुक्त प्रोडक्ट्स भी हैं। कंपनी के दो प्लांट्स आज सफलतापूर्व काम कर रहे हैं। भारत की शान कार्यक्रम में जब वरिष्ठ एंकर राजीव शर्मा ने इनसे सवाल किया कि आपको कंपनी शुरू करने की प्रेरणा कहां से मिली तो इन्होंने साफ तौर पर कहा कि कंपनी खोलने के लिए इन्हें किसी ने प्रेरित नहीं किया बल्कि देश के लिए कुछ करने के जज्बा के कारण ही उन्होंने कंपनी खोलने का मन बनाया। इनको ऐसा लगा कि ऐसा प्रोडक्ट हो जिसमें डोसेज कम हो, मरीजों को सस्ती दवाएं मिले और फिर ये इसी दिशा में आगे बढ़ गईं, हांलाकि इस रास्ते में कई बार कई चुनौतियां सामने आईं लेकिन फिर इससे उबरने की शक्ति भी मिली क्योंकि अच्छे काम में ईश्वर का साथ भी मिल ही जाता है।
अनुसंधान एवं विकास एमकेपीपीएल के संचालन का मूल मंत्र है। कंपनी समझती है कि दवा उद्योग का भविष्य निरंतर नवाचार में निहित है, इसलिए कंपनी ने अनुसंधान एवं विकास में भारी निवेश किया है। कंपनी की अनुसंधान एवं विकास टीम ऐसे समाधान खोजने के लिए समर्पित है जो दवा उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं। जलीय-आधारित प्रौद्योगिकियों पर एमकेपीपीएल के फोकस के परिणामस्वरूप कई अभूतपूर्व फॉर्मूलेशन तैयार हुए हैं जिनसे कई फार्मास्युटिकल यौगिकों की जैव उपलब्धता और प्रभावकारिता में सुधार हुआ है। मौजूदा उत्पादों को बेहतर बनाने के अलावा, एमकेपीपीएल का अनुसंधान एवं विकास विभाग कई पेटेंट दाखिल करने के लिए ज़िम्मेदार रहा है।
जब कंपनी की शुरुआत हुई तो इस क्षेत्र में परिवार की तरफ से कोई विरासत नहीं थी। ना ही इस क्षेत्र में कोई गॉड फादर था और ना ही कोई उद्योग क्षेत्र में था जो इनको मदद करता, लेकिन अपने उत्कृष्ट कार्य के कारण आज कंपनी इस क्षेत्र में लीडर है। राजीव शर्मा के साथ साक्षात्कार में इन्होंने कहा कि दवाओं के उत्पादन का यह उद्योग काफी छोटा है, दवाओं के उत्पादन के लिए सारे गाइलाइंस को ध्यान में रखने पड़ते हैं, हर चीज रेगुलेटेड होती है और यह होनी भी चाहिए क्योंकि दवाई इंसान जीने के लिए खाता है ना की बीमार पड़ने के लिए, परिवार के सपोर्ट और मन के दृढ़ संकल्प के कारण डॉ वडल्मानी ने तय किया कि वो हमेशा बेहतर दवाएं ही बनाएंगी, ऐसी दवाएं जिससे मरीजों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचे।
डॉ वडल्मानी के नेतृत्व में, एमकेपीपीएल ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति भी महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता दिखाई है। कंपनी ने 2018 में अपनी सीएसआर गतिविधियों की शुरुआत की, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, जल संरक्षण और बालिकाओं के सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
एमकेपीपीएल नेविभिन्न समुदायों और गांवों में सक्रिय रूप से सहयोग किया है, और उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दिया है। साथ ही कंपनी की ओर से अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और एक उज्जवल भविष्य मिले। एमकेपीपीएल ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के लिए घर-घर स्कूल भी चलाती है, जिससे वंचित समुदायों में शिक्षा की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है। कंपनी का सामाजिक कार्यों पर ध्यान डॉ. वडलमणि के समाज को कुछ वापस देने और वंचितों की सहायता करने के विश्वास से उपजा है।
उत्कृष्टता के प्रति एमकेपीपीएल के समर्पण को विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों के माध्यम से मान्यता मिली है। 2016 में, कंपनी को बायोफार्मास्युटिकल और फार्मास्युटिकल श्रेणियों में प्रतिष्ठित मेक इन इंडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तत्कालीन उद्योग मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रदान किया गया यह सम्मान, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एमकेपीपीएल के महत्वपूर्ण योगदान और मेक इन इंडिया पहल के सिद्धांतों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दूरदर्शी नेतृत्व, अत्याधुनिक तकनीक, मज़बूत अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति समर्पण के साथ, एमकेपीपीएल की विकास यात्रा जारी है, एमकेपीपीएल पारदर्शिता के साथ उत्कृष्ट उत्पादन के लिए सदैव समर्पित है।
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