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EPFO में बड़ा बदलाव, इन कर्मचारियों की पेंशन पर लगा ब्रेक, जानिए पूरी डिटेल

EPFO Pension Scheme Update: भारत में संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के लिए EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन एक अहम सहारा है. हर महीने वेतन से की जाने वाली कटौती के जरिये न केवल भविष्य के लिए बचत होती है, बल्कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन और अन्य वित्तीय सुरक्षा भी मिलती है. इस बीच EPFO ने अपने ECR सिस्टम (Electronic Challan-cum-Return) में बड़ा बदलाव किया है, जिसका सीधा असर कर्मचारियों के EPS (Employees’ Pension Scheme) योगदान पर पड़ेगा. खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए यह बदलाव अहम है जिनकी उम्र 58 वर्ष से अधिक हो चुकी है.

EPFO ने क्यों किया नियमों में बदलाव?

EPFO समय-समय पर अपने सिस्टम में बदलाव कर सेवाओं को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने की कोशिश करता रहता है. इस बार संस्था ने इलेक्ट्रॉनिक चालान-कम-रिटर्न (ECR) सिस्टम को अपडेट किया है ताकि पेंशन योगदान के नियमों का सही से पालन सुनिश्चित किया जा सके. पहले कई बार ऐसा होता था कि पात्र न होने के बावजूद कुछ कर्मचारियों का EPS में योगदान जारी रहता था. नई व्यवस्था में ऐसे योगदान को स्वतः रोका जा सकेगा.

क्या है EPFO के नए नियम में?

EPFO के नियमों के मुताबिक, जैसे ही कोई कर्मचारी 58 साल की उम्र पूरी करता है, उसके लिए EPS में योगदान की अनुमति समाप्त हो जाती है. इसका मतलब है कि उसके वेतन से EPS में अब कोई राशि जमा नहीं की जा सकेगी. हालांकि, यदि नियोक्ता द्वारा deferred pension (स्थगित पेंशन) के लिए उसे पात्र घोषित किया गया हो, तो कुछ विशेष मामलों में योगदान जारी रखा जा सकता है.

15,000 रुपये से अधिक वेतन वालों पर भी असर

EPFO ने साफ किया है कि जिन कर्मचारियों की मासिक सैलरी ₹15,000 से अधिक है और जिन्होंने 1 सितंबर 2014 या उसके बाद EPS जॉइन किया है, वे भी EPS में योगदान के पात्र नहीं होंगे. पहले कई बार तकनीकी कारणों से इन कर्मचारियों का योगदान EPS में जाता रहता था, लेकिन अब सिस्टम में सुधार के बाद ऐसी स्थिति खत्म हो जाएगी.

EPF और EPS में कैसे होता है फंड डिवीजन

जब कोई कर्मचारी संगठित क्षेत्र में काम शुरू करता है, तो वह स्वतः EPFO का सदस्य बन जाता है. कर्मचारी और नियोक्ता दोनों वेतन से योगदान करते हैं. इसमें से 12% हिस्सा कर्मचारी के EPF में जाता है. नियोक्ता का भी 12% हिस्सा दो भागों में विभाजित होता है 8.33% EPS में और 3.67% EPF में.  इसी फंड से रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को मासिक पेंशन मिलती है.

क्या है ECR सिस्टम ?

ECR यानी Electronic Challan-cum-Return एक अनिवार्य मासिक रिटर्न सिस्टम है, जिसे हर नियोक्ता को EPFO के पास जमा करना होता है. इसमें कर्मचारियों के वेतन, EPF, EPS और EDLI (Employee Deposit Linked Insurance) योगदान की पूरी जानकारी होती है. यही दस्तावेज रिटर्न और पेमेंट चालान दोनों के रूप में काम करता है. EPFO ने ECR सिस्टम को और आधुनिक बनाते हुए सुनिश्चित किया है कि कोई भी गलत या अपात्र योगदान EPS में न जा सके. यह कदम न केवल पेंशन योजना को मजबूत करेगा बल्कि भविष्य में होने वाली अनियमितताओं को भी रोकेगा.
shristi S

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