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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रिजर्व बैंक आफ इंडिया गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने के संकेत दिए हैं। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गवर्नर दास ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अगली कुछ बैठकों में और अधिक दरों में बढ़ोतरी पर विचार कर रहा है। यदि रेपो रेट बढ़ते हैं तो इससे लोन और महंगा हो जाएगा।
दरअसल, आरबीआई हर हाल में महंगाई को कंट्रोल करना चाहता है। इसलिए केंद्रीय बैंक अगली कुछ बैठकों में ब्याज दरें बढ़ाना चाहता है। आरबीआई जून की बैठक में महंगाई का नया अनुमान भी जारी करेगा। दास ने कहा कि रेपो दर में कुछ वृद्धि होगी, कितना तक, मैं अभी नहीं बता पाऊंगा। लेकिन यह कहना कि (इसे बढ़ा दिया जाएगा) अभी 5.15 प्रतिशत करना सही नहीं होगा।
दास ने कहा आउट आफ टर्न कार्रवाई के कारणों में से एक जून में भारी बढ़ोतरी से बचना था. मोटे तौर पर, आरबीआई अगली कुछ बैठकों में, कम से कम अगली बैठक में दरें बढ़ाना चाहता है। आरबीआई का उद्देश्य कैलिब्रेटेड और चरणबद्ध तरीके से तरलता को कम करना है।
दास ने कहा कि अब इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए तालमेल के साथ फिस्कल और मॉनेटरी एक्शन लिए जा रहे हैं। दरअसल पिछले कुछ महीनों से इनफ्लेशन लगातार बढ़ रहा है। यह आखिरी 4 महीने से फइक के तय टार्गेट से ऊपर बना हुआ है।
अप्रैल में रिटेल इनफ्लेशन बढ़कर 7.79 फीसदी तक पहुंच गया। जबकि मार्च में यह 6.95 फीसदी था। सरकार भी महंगाई को काबू में करने के लिए कई तरह की कोशिश कर रही है। 21 मई को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई गई। इससे पहले गेहूं के निर्यात पर भी रोक लगाई गई थी।
गौरतलब है कि मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस फाइनेंशियल ईयर की पहली बैठक 6-8 अप्रैल को हुई थी और अगली बैठक जून में होगी। लेकिन 2-4 मई के बीच हुई एक अनिश्चित बैठक में सर्वसम्मति से बेंचमार्क दरों में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी का फैसला किया।
लगातार चार महीनों के लिए 6 प्रतिशत ऊपरी सीमा से ऊपर मुद्रास्फीति ने केंद्रीय बैंक को दरें बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। आरबीआई ने 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में बदलाव किया था। तब से ये 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक लो लेवल पर बना हुआ था।
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