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Navratri 2024: इस विधि से करें नवरात्रि में पूजा, मां की होगी विशेष कृपा

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : April 7, 2024, 6:06 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Navratri 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिनों का काफी महतत्व है। साल में चार नवरात्रि पड़ते हैं जिनमें से शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि आरंभ होती है। इस वर्ष चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11:50 से शुरू हो रही है। यह तिथि 9 अप्रैल को रात 8:30 बजे समाप्त होगी। आपको बता दें हिंदू धर्म में उदया तिथि ही मान्य होती है और इसी के अनुसार पूजा की जाती है।

कलश स्थापना का मुहूर्त

9 अप्रैल को सुबह 5:52 से 10:04 तक रहेगा। अगर इस मुहूर्त में कलश स्थापना न कर पाएं तो आप अभिजीत मुहूर्त में भी कर सकते हैं जो कि सुबह 11:45 से दोपहर 12:35 तक रहेगा।

कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

मिट्टी का पात्र जौ बोने के लिए

मिट्टी का एक घड़ा

साफ मिट्टी, फल

कलश ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन

गंगा जल और सुपारी

1 या 2 रुपये का सिक्का

आम के पत्ते, हल्दी की गाँठ

अक्षत और कलावा

जौ, इत्र, पुष्प और पुष्प से बनी माला

नारियल, लाल चुन्नी और दूर्वा घास

कलश स्थापना की सही विधि

नवरात्रि में घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए क्योंकि ये देवी का आव्हान है, गलत समय पर कलश स्थापना से मां क्रोधित हो जाती हैं। तो समय का ध्यान ज़रूर रखें।

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सबसे पहले पूजा स्थान को अच्छे से साफ कर लें, गंगा जल का छिड़काव भी करें। आपको उत्तर-पूर्व दिशा में कलश स्थापना करनी है। अब पूजा की चौकी पर लाल चुन्नी बिछा दें, अक्षत से अष्टदल बनाकर मां की तस्वीर स्थापित करें।

मिट्टी के पात्र में साफ मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीज बो दें और थोड़ा सा पानी का छिड़काव करें। अब कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा और सुपारी डालें। कलश में 5 आम के पत्ते डालें और ऊपर से नारियल(लाल चुनरी से लपेट कर) रख दें। मिट्टी के पात्र के ऊपर ही कलश रख दें। जिस तरह तस्वीर में दिखाया गया है।

अब कलश पर रोली से स्वासतिक बनाएं और कलश के ऊपरी हिस्से में कलावा बांध दें। कलश स्थापना पूरी हो चुकी है। मैया को फल चढ़ाएं और इत्र भी अर्पित करें। इसके बाद दीप-धूप जलाएं कलश की पूजा करें और गणपति, माता जी, नवग्रहों का आव्हान करें। “या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।” नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी की सुबह शाम आरती करें और इस मंत्र का जाप करें। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करें। माता की आरती करने के लिए पान के पत्ते पर लौंग रख कर करें। अंत में माता से क्षमा प्रार्थना करें। पूजा में भूल वश कोई गलती हो जाए तो कोई बात नहीं माता बहुत ही दयालु हैं, हम सब उनकी संतान हैं।

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9 अप्रैल को सूर्योदय के 2 घंटे बाद, अश्विनी नक्षत्र शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त  में कलश स्थापना करने से माता की विशेष कृपा हो सकती है।

इस चैत्र नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होगा। घोड़े को मैया का शुभ वाहन नहीं माना जाता। ये समाज में अस्थिरता, अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप या कोई अन्य प्राकृतिक घतना, सत्ता परिवर्तन या युद्ध के संकेत देता है।

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