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India News, (इंडिया न्यूज),Chhattisgarh: इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) विधानसभा के चुनाव होने है। जिसको लेकर देश के सियासत में लगातार गर्माहट देखने को मिल रही है। जिसके बाद छत्तीसगढ़ चुनाव में सर्व आदिवासी समाज की भुमिका पर भी चर्चा तेज हो रही है। जहां सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने विधानसभा चुनाव पर अपना मत साफ करते हुए कहा कि, आदिवासी समाज के हित के लिए वर्ष 1996 में बने पेशा कानून की छत्तीसगढ़ में हत्या कर दी गई है। पेशा कानून के तहत जल, जंगल जमीन पर ग्रामसभा और गांववालों का अधिकार था। उसे राज्य सरकार ने नियम बनाकर खत्म कर दिया है।
पिछले 15 सालों से संघर्ष करते आदिवासी समुदाय थक चुका है। न भाजपा, न ही कांग्रेस की सरकार में आदिवासी वर्ग के हितों की चिंता की गई। अब विधानसभा चुनाव में सर्व आदिवासी समाज आरक्षित 30 विधानसभा सीटों सहित 50 सीटों पर अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी।
बता दें कि, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि, छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से जो अधिकार आदिवासियों को मिलने थे, वे न तो भाजपा सरकार में और न ही कांग्रेस सरकार में मिले हैं। बस्तर और सरगुजा संभाग में पेशा कानून का पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में आदिवासियों के लिए बने कानून के संवैधानिक अधिकार का लगातर हनन हो रहा है। यह आने वाले चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनेगा।
पेशा कानून का उलंघन सर्वाधिक इस सरकार में हुआ है। हमारी लड़ाई संवैधानिक अधिकार की है, जो हमें संविधान में मिला था। अधिकारों से वंचित किए जाने के कारण समाज अब खतरे में है। इसके आगे अरविंद नेताम ने कहा कि, भानुप्रतापपुर उपचुनाव ने आदिवासी समाज को नई राह दिखाई है। भानुप्रतापपुर उपचुनाव में आदिवासी वर्ग के निर्दलीय विधायक को 16 प्रतिशत वोट मिला था। भानुप्रतापपुर उपचुनाव से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने आने वाले विधानसभा चुनाव में समाज से उमीदवार उतारने का फैसला लिया है।
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