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छत्तीसगढ़ की झिटकु मिटकी, एक ऐसी प्रेम कहानी जो बन गई देवी-देवताओं की आराधना

India News Chhattisgarh (इंडिया न्यूज़), Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के विश्रामपुरी गांव में स्थित झिटकु और मिटकी का मंदिर अपनी अनोखी प्रेम कहानी के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर देश का एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां प्रेमी जोड़े की पूजा की जाती है और यहां आने वाले लोग अपनी मनोकामनाएं […]

BY: Nidhi Jha • UPDATED :
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India News Chhattisgarh (इंडिया न्यूज़), Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के विश्रामपुरी गांव में स्थित झिटकु और मिटकी का मंदिर अपनी अनोखी प्रेम कहानी के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर देश का एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां प्रेमी जोड़े की पूजा की जाती है और यहां आने वाले लोग अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। यह प्रेम कथा आज भी छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय के बीच श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक बनी हुई है।

झिटकु मिटकी की प्रेम कथा

झिटकु और मिटकी की प्रेम कहानी बस्तर के कोंडागांव जिले के बड़े राजपुर गांव से जुड़ी हुई है। कहानी के अनुसार, एक युवक सुकल और एक युवती सुकलदाई की मुलाकात गाँव के मेले में होती है। पहली मुलाकात में ही दोनों एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। हालांकि सुकलदाई के सात भाइयों ने इस रिश्ते का विरोध किया, लेकिन सुकलदाई के दृढ़ प्रयासों के बाद रिश्ते की मंजूरी मिली।

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सुकल और सुकलदाई का विवाह हुआ और वे अलग घर बसाने चले गए। एक दिन, गांव के सातों भाइयों ने खेती के लिए एक बांध बनाने का निर्णय लिया। बांध बनने के बाद, देवी ने सपने में आकर कहा कि बलि दिए बिना बांध सफल नहीं होगा। इस पर, भाइयों ने सुकल की बलि देने का निर्णय लिया और उसे तालाब में फेंक दिया।

सुकल की बलि और मिटकी का शोक

जब सुकल रात तक घर वापस नहीं आया, तो सुकलदाई अपने पति को ढूंढने के लिए निकली। उसने तालाब में एक लाश तैरती देखी और पास जाकर पहचानने पर वह लाश सुकल की थी। यह देखकर सुकलदाई दुखी हो गई और उसने भी उसी तालाब में कूदकर अपनी जान दे दी।

झिटकु मिटकी की पूजा और मंदिर

सुकलदाई की मौत के बाद से, सुकल और सुकलदाई की प्रेम कथा को “झिटकु मिटकी” के नाम से जाना जाने लगा। दोनों को देवी-देवता के रूप में पूजा जाने लगा और उनकी पूजा की परंपरा छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय में प्रचलित हो गई। आज भी इस जोड़े की पूजा की जाती है और हर साल कोंडागांव जिले के विश्रामपुरी में मेला लगता है, जिसमें बस्तर और आसपास के क्षेत्रों से लोग आते हैं।

झिटकु मिटकी का सांस्कृतिक महत्व

झिटकु और मिटकी की प्रेम कथा केवल छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अब देश-विदेश में प्रसिद्ध हो चुकी है। कई लेखक और उपन्यासकारों ने इस प्रेम कथा पर किताबें लिखी हैं। इस प्रेम कथा ने न केवल आदिवासी संस्कृति को प्रकट किया है, बल्कि यह प्रेम, बलिदान और सच्चे प्यार का प्रतीक बन चुकी है।

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