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जानें क्या है ‘तबलीगी जमात’, जिसका उमेश कोल्हे की हत्या में आया नाम

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 20, 2022, 8:55 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : देश में कोरोना वायरस की पहली लहर के समय ‘तबलीगी जमात’ का नाम चर्चा में आया था। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित इसके मुख्यालय मरकज में इसके कई लोग एक मस्जिद में छिपे हुए पकड़े गए थे। इन पर देश भर में कोरोना फैलाने का आरोप लगा था। इस्लामी तकरीर करने के नाम पर इनका आतंकी कनेक्शन अब कई घटनाओं में जगजाहिर है। हाल ही में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने उमेश कोल्हे हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल की है।

NIA ने बताया है कि इससे जुड़े लोग इस्लामी कट्टरपंथी हैं। उनका ‘तबलीगी जमात’ से कनेक्शन है। इसमें 11 नाम हैं। मुख्य आरोपितों में से एक इरफान खान जमात का कट्टर समर्थक बताया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NIA की चार्जशीट में बताया गया है कि कट्टरपंथियों का मकसद हत्या कर आतंक पैदा करना था। नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हाट्सएप मैसेज फॉरवर्ड करने की वजह से कोल्हे उनके टारगेट पर थे। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के अमरावती में 22 जून 2022 को उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई थी।

तबलीगी जमात का उदय

तबलीगी जमात की शुरुआत 1927 में एक आंदोलन के रूप में हुई थी। मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूँह जिले के एक गाँव से इसे शुरू किया था। ‘तबलीगी जमात’ की पहली मरकज वर्ष 1941 में 25 हजार लोगों के साथ हुई थी। विश्व के अलग-अलग देशों में हर साल इसका वार्षिक कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसे ‘इज्तेमा’ कहा जाता है।

आपको बता दें, ‘मरकज, तबलीगी, जमात’ के शाब्दिक अर्थ जान लेते हैं। तबलीगी का शाब्दिक अर्थ होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात मतलब, समूह और मरकज का अर्थ होता है बैठक के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जगह। यानी, अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह।

तबलीगी जमात का दोहरा चेहरा

आपको बता दें, तबलीगी जमात ख़ुद के ग़ैर-राजनीतिक होने के दावे भी करता रहा है, भले ही इसका इतिहास कई आतंकी घटनाओं से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी से लेकर आईएसआई के प्रमुख रहे जावेद नसीर तक इसके अनुयायी रहे हैं। कई अन्य पाकिस्तानी सेलेब्रिटी भी तबलीगी जमात में शामिल हैं। हालाँकि, समुदाय विशेष में इस जमात को लेकर आपस में ही सिर-फुटव्वल चलती रहती है। सऊदी अरब में सुन्नी वहाबी उलेमाओं ने तो मुल्क में तबलीगी जमात द्वारा मजहबी उपदेश की गतिविधियाँ करने पर रोक तक लगा दी है। इसके लिए फतवा भी जारी किया गया था।

तबलीगी जमात की कई आतंकी घटनाओं में अहम भूमिका

ज्ञात हो, कोरोना आने से पहले भारत में बहुत कम लोग इस बारे में जानते थे। लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स, विकीलीक्स से लेकर भारत के ही कुछ पूर्व अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW), आईबी अधिकारियों ने तबलीगी जमात की आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात से पर्दा उठाया था। तबलीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे हरकत-उल-मुजाहिदीन के साथ एक लंबे समय तक संबंध रहा है। भारतीय ख़ुफ़िया विभाग (IB) के एक पूर्व अधिकारी और कुछ पाकिस्तानी विश्लेषकों के मुताबिक, हरकत-उल-मुजाहिदीन के मूल संस्थापक तबलीगी जमात के ही सदस्य थे। इसी हरकत-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में कई लोगों की हत्याएँ की है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में 14 जुलाई, 2003 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एफबीआई के तत्कालीन वाशिंगटन फील्ड कार्यालय के आतंकवाद निरोधी प्रभाग के विशेष एजेंट माइकल जे हेइम्बच ने कहा था, ”हमने अमेरिका में तबलीगी जमात की बड़े स्तर पर मौजूदगी पाई है और हमने यह भी पाया है कि आतंकी संगठन अलकायदा भर्ती के लिए इनका इस्तेमाल करता है।”

तबलीगी जमात का गोधरा-कंधार कनेक्शन

जानकारी दें, तबलीगी जमात पर 2002 में गोधरा में 59 हिंदू कार सेवकों को ट्रेन में जिंदा जलाने के मामले में भी शामिल होने के आरोप हैं। उल्लेखनीय है कि हिंदुओं को साबरमती एक्सप्रेस में जिंदा जलाने की इस घटना के कारण गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई। इसी तरह से कांधार कांड में भी जमात की भूमिका सामने आई थी। नेपाल के काठमांडू से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले इंडियन एयरलाइंस के विमान को 24 दिसंबर, 1999 को हाईजैक कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। बाद में तीन आतंकवादियों की रिहाई के बदले विमान में सवार 170 लोगों को छोड़ा गया था। ये आतंकवादी मसूद अजहर अल्वी, सैयद उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर थे।

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