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AAP की बढ़ी मुश्किलें, जानिए अब क्या हुआ

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), AAP: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के लिए हाल के दिनों में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, और इसका मुख्य कारण दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना की सक्रियता को माना जा रहा है। जहां एक ओर एलजी की भागदौड़ और त्वरित कार्रवाइयों से दिल्ली में कुछ विकास कार्यों […]

BY: Nidhi Jha • UPDATED :
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India News Delhi (इंडिया न्यूज़), AAP: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के लिए हाल के दिनों में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, और इसका मुख्य कारण दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना की सक्रियता को माना जा रहा है। जहां एक ओर एलजी की भागदौड़ और त्वरित कार्रवाइयों से दिल्ली में कुछ विकास कार्यों में गति मिली, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के लिए यह एक चुनौती बन गई। पार्टी और एलजी के बीच बढ़ते टकराव ने दिल्ली सरकार को कई बार कठघरे में खड़ा किया है, जिससे पार्टी के लिए सत्ता विरोधी लहर के चलते चुनावी हार का सामना करना पड़ा है।

एलजी और केजरीवाल के बीच टकराव की शुरुआत

यह टकराव शुरू हुआ था जब 2013 में केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली की सत्ता संभाली। उस समय दिल्ली के एलजी नजीब जंग थे। केजरीवाल और जंग के बीच विवाद की शुरुआत उपराज्यपाल के साथ बिना सलाह किए मुख्य सचिव की नियुक्ति और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करने जैसे मुद्दों से हुई। यह खींचतान दिल्ली के विशेष दर्जे को लेकर कानूनी विवादों में तब्दील हो गई थी। हालांकि, 2015 में केजरीवाल सरकार दोबारा बहुमत के साथ सत्ता में आई, लेकिन यह विवाद फिर से गर्म हो गया।

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AAP

एलजी के तहत कामकाज में सुधार की पहल

वीके सक्सेना ने 26 मई 2022 को दिल्ली के एलजी के रूप में शपथ ली। उनके पद संभालने के बाद, उन्होंने तत्कालीन आप सरकार के कामकाज पर कड़ी नजर रखना शुरू कर दिया। उनकी रणनीति के तहत, उन्होंने न केवल सड़कों पर उतरकर काम किए, बल्कि आप सरकार के उन मामलों को उजागर किया, जिनमें उन्हें प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता महसूस हुई। सक्सेना ने सबसे पहले राजधानी दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर खराब हालत वाली सड़कों, बस अड्डों और अन्य सार्वजनिक स्थलों का दौरा किया। उन्होंने इन स्थानों को सुधारने के लिए सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिए, जिससे दिल्ली की छवि में कुछ सुधार हुआ।

आप सरकार के लिए बढ़ते संकट

एलजी की सक्रियता के बाद, कई मुद्दों पर आप सरकार और एलजी के बीच टकराव बढ़ते गए। जहां एक ओर एलजी ने कई जगहों पर सुधार की दिशा में काम किया, वहीं आप सरकार इसे अपनी सत्ता में हस्तक्षेप मानने लगी। जैसे ही सक्सेना ने दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों को हटाने की दिशा में कदम उठाया, आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर इस पहल को रोकने की कोशिश की। इसके अलावा, यमुना की सफाई के लिए सक्सेना द्वारा उठाए गए कदमों को भी आप सरकार ने रुकवाने की कोशिश की, लेकिन एलजी ने इसे जारी रखा।

कई घोटालों की जांच में एलजी की सक्रियता

एलजी वीके सक्सेना ने कई घोटालों के खिलाफ कार्रवाई करने में भी तेजी दिखाई। इन घोटालों में आबकारी घोटाला, फीडबैक यूनिट, डीटीसी घोटाला और क्लासरूम घोटाले प्रमुख हैं। सक्सेना ने इन सभी मामलों की जांच में तेजी से कार्यवाही की और संबंधित अधिकारियों को सजा दिलाने की दिशा में कदम उठाए। इस जांच प्रक्रिया में नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, आप सरकार की छवि को और नुकसान हुआ।

यमुना में बाढ़ और जलभराव पर एलजी की पहल

यमुना नदी में बाढ़ आने और शहर में जलभराव की समस्या के बीच एलजी ने सक्रियता दिखाई। उन्होंने यमुना में सिल्ट के मुद्दे को उठाया और आप सरकार को शहर में जलभराव की समस्या को हल करने के लिए कार्रवाई करने का सुझाव दिया। इससे एक बार फिर आप सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया, क्योंकि वे इस समस्या को पहले हल नहीं कर पाए थे।

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जी 20 के दौरान एलजी की भूमिका

सक्सेना ने जी 20 सम्मेलन के दौरान भी दिल्ली की सजावट और सुधार कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एलजी ने कारपोरेट घरानों की मदद से दिल्ली को सजाया और उसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किया। इस दौरान, आप सरकार को कुछ फैसलों में सहमति देनी पड़ी, जबकि पार्टी को यह आरोप लगाने का मौका मिला कि एलजी उनकी सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

एमसीडी चुनाव और केजरीवाल की गिरफ्तारी

दिल्ली के मेयर चुनाव और एमसीडी चुनाव के दौरान भी एलजी ने कई फैसले किए। जब अरविंद केजरीवाल को जेल भेजा गया, तो एलजी ने काफी समझदारी से काम लिया और इस पूरे मुद्दे पर सरकारी छवि को प्रभावित होने से बचाया।

सक्सेना के फैसलों के बाद पार्टी की छवि पर असर

एलजी के निर्णयों और उनकी सक्रियता के कारण आम आदमी पार्टी की छवि पर गहरा असर पड़ा। जहां एक ओर पार्टी को खुद के कामकाज को साबित करने में मुश्किलें आ रही थीं, वहीं दूसरी ओर एलजी के फैसलों ने उनकी राजनीति को और कठिन बना दिया।

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