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डा. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़।
Chandigarh Resolution Issue : पंजाब में आप की सत्ता आए जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए हैं और इसी बीच आप पार्टी की सरकार ने एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आई है जिसके चलते हर ना केवल हर किसी को हैरानी हो रही है बल्कि हरियाणा के सभी पार्टियों के नेता पंजाब के इस प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। वो है पंजाब के सीएम भगवंत मान द्वारा एक रेजोल्यूशन पास कर डिमांग की गई है कि यूटी चंडीगढ़ को पंजाब को ट्रांसफर कर दिया जाए।
इस पूरे मामले में सबसे अहम पहलू ये है कि फिलहाल किसी भी प्रदेश में चुनाव नहीं और फिर ऐसे बेमौसमी प्रस्ताव के क्या मायने हो सकते हैं। इसको लेकर हरियाणा की सत्ताधारी भाजपा व मुख्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं की एक साथ कड़ी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने न केवल पंजाब के दाव व रेजोल्यूशन का कड़ा विरोध किया है बल्कि पंजाब सरकार व आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को भी जमकर घेरा है। उन्होंने साफ कहा है कि अरविंद केजरीवाल जानबूझ कर ऐसी राजनीति कर रहे हैं जिसका कोई मंतव्य ही नहीं निकलता है। Chandigarh Resolution Issue
मामला केवल चंडीगढ़ को राजधानी के रूप में देखने या इसको स्थानांतरित करने का नहीं है, इससे जुड़े और भी कई पहलू हैं जिनकी अनदेखी किसी भी हालत में नहीं की जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के उपर सबकी नजर टिकी हैं और वाजिब भी बनता है क्योंकि उनकी सहमति या उनको संज्ञान में लाए बगैर पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार इतना बड़ा प्रस्ताव नहीं ला सकती है। पानी वाले मसले पर वो निरंतर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के निशाने पर हैं।
पूरे मामले पर सीएम मनोहर लाल ने साफ कर दिया है कि पंजाब के इस प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं बनता है। पार्टी के अन्य नेताओं और मंत्रियों ने एक सुर मामले को लेकर पंजाब सरकार पर हमला बोला। मामले को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की तरफ से भी मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया आई है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले ही दिन मामले को लेकर पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाने की बात कही थी। वहीं इनेलो के अभय चौटाला ने मामले पर सीएम मनोहर लाल को पत्र लिखा और चंडीगढ़ पर हरियाणा का बराबर हक बताया।
पहले भी कई बार प्रस्ताव पास हुआ था, इसमें केवल पंजाब नहीं, केंद्र और हरियाणा भी पार्टी या स्टेकहोल्डर्स हैं। पूरे मामले में केवल पंजाब का एकतरफा रूख मायने नहीं रखता है। इसमें केंद्र सरकार की भी रायशुमारी जरूरी है। हरियाणा का भी चंडीगढ़ बराबर हिस्सा और इस तरह के एकतरफा प्रस्तावों के तब तक कोई मायने नहीं हैं जब तक सभी पक्षों की रायशुमारी और उनकी बातचीत नहीं होती। भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि ये गैर जरूरी राजनीति है और इस तरह के प्रस्तावों का फिलहाल कोई मतलब भी नहीं बनता।
साल 1966 में पंजाब से अलग होने के बाद नए राज्य के पूर्व में सामने आया था। इसमें मुख्य रूप से दो मामले तो निरंतर सामने आते रहे हैं। पहला है हरियाणा को एसवाईएल मे उसको निर्धारित व उसके हक का पानी नहीं मिलना। मामले को लेकर हरियाणा सुप्रीम कोर्ट का रूख कर चुका है लेकिन इस मामले पर पंजाब का रूख बेहद ही निराशाजनक है। चुनाव के दौरान हर बार एसवाईएल मुद्दा छाया रहता है। इसके अलावा एक डिस्पुट सीमा संबंधी है। पंजाब में हिंदी भाषी को हरियाणा को दिया जाना था लेकिन उस पर भी कुछ नहीं हुआ।
पंजाब में चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने जनता के सामने बड़े वायदे किए थे और उनका पूरा करना आसान काम नहीं है। चाहे फ्री बिजली देना हो या फिर हेल्थ या रोजगार का फिल्ड, आप पार्टी ने बड़े चुनावी वायदों का अंबार लगाया है। पंजाब के चंडीगढ़ पर प्रस्ताव के बाद राजनीतिक जानकार और पार्टियां ये मान रही हैं कि कहीं न कहीं आप सरकार जनता का ध्यान अपने चुनावी वायदों से भटकाना चाहती है।
भाजपा के तमाम नेता का यही कहना है कि जब पंजाब सरकार को लग रहा है कि वो वायदों को पूरा नहीं कर पा रही तो ऐसे में उसके द्वारा चंडीगढ़ को लेकर जो प्रस्ताव पास किया गया, वो महज जनता का ध्यान भटकाने के लिए है। पंजाब के इस बेमौसमी प्रस्ताव से कुछ हद तक चीजें साफ नजर आ रही हैं कि इस मामले को चुनावी माहौल नहीं होने और राजनीतिक रूप से तूल देने से उसको फिलहाल तो कोई राजनीतिक माइलेज नहीं मिल रही है।
इस पहलू से पर भी लोगों की नजरे हैं कि कहीं आप सरकार जनता का ध्यान तो नहीं भटका रही। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल तो कह चुके हैं आप सरकार ने वायदे तो इतने बड़े बड़े किए हैं लेकिन खुद दिल्ली जाकर पैकेज के लिए पीएम के सामने कटोरा लेकर खड़े हो जाते हैं। Chandigarh Resolution Issue
पंजाब सरकार ने जो किया है वो निंदनीय है। इस तरह एकतरफा प्रस्ताव पास नहीं करना चाहिए। कई दशक पहले हुए समझौते के अनुसार चंडीगढ़ दोनों राज्यों की राजधानी है। पंजाब को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में कहना चाहिए कि हम हरियाणा को उसका हिस्सा देने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा हिंदी भाषी क्षेत्र का भी मसला है जो कि हरियाणा को दिया जाना चाहिए था लेकिन अब भी वो क्षेत्र पंजाब के ही पास है। अरविंद केजरीवाल को पार्टी के नेता के रूप में लोगों से माफी मांगनी चाहिए, ऐसे निंदनीय कार्य के लिए पंजाब के सीएम को भी माफी मांगनी चाहिए।
मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।पंजाब की नई सरकार को पूरे मामले की जानकारी ही नहीं है और हरियाणा व पंजाब में चंडीगढ़ को लेकर तीन पहलुओं पर बातचीत होगी। किसी एक चीज पर फैसला नहीं हो सकता। हरियाणा कांग्रेस सोमवार को विधायक दल की बैठक कर इस मुद्दे पर रणनीति बनाएगी और अगर राष्ट्रपति तक भी जाना होगा पड़ा तो कोई विधायक दल की बैठक में तय किया जाएगा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा, नेता प्रतिपक्ष।
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