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कांग्रेस की अंतरिम अध्य्क्ष सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर के लिए बनाई 6 समन्वय समितियों में सन्तुष्ठ और अंसन्तुष्ठ गुट के नेताओं को बराबर जगह दे फिलहाल पार्टी को एकजुट करने की कोशिश की है।
अजीत मैंदोला, नई दिल्ली। लगातार हार से चिंतित कांग्रेस की अंतरिम अध्य्क्ष सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर के लिए बनाई 6 समन्वय समितियों में सन्तुष्ठ और अंसन्तुष्ठ गुट के नेताओं को बराबर जगह दे फिलहाल पार्टी को एकजुट करने की कोशिश की है।
अंसन्तुष्ठ गुट के समझे जाने वाले हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिह हुड्डा और मुकुल वासनिक को अलग-अलग समिति का संयोजक बनाया गया है। जबकि गुलाम नवी आजाद, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी विभीन्न समिति में रखे गए हैं। पार्टी का चिंतन शिविर 13 मई से 15 मई तक राजस्थान के उदयपुर में होगा।
9 साल पहले 2013 में कांग्रेस ने राजस्थान के जयपुर में चिंतन शिविर का आयोजन किया था जिसमे राहुल गांधी को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन राहुल के उपाध्यक्ष बनने और इस शिविर के बाद पार्टी को आज तक लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी अब तक सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। एक तरह से पार्टी के सामने अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो गया है।
राहुल और प्रियंका के असफल होने के बाद सोनिया गांधी ने एक बार फिर सक्रियता बढ़ाई है। जिसके तहत तय किया गया कि पार्टी को फिर से चितंन शिविर बुला नये सिरे से रणनीति बनानी चाहिए।
लेकिन शिविर से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर हुई बैठकों ने पार्टी नेताओं को सकते में डाला हुआ है।
हालांकि कोई खुल कर विरोध नही कर रहा है, लेकिन बड़ा धड़ा खुश नही है। ऐसे संकेत हैं कि केवल प्रियंका गांधी चाहती हैं कि प्रशांत साथ जुड़े। राहुल ज्यादा पक्ष में नही बताए जाते है। नेताओं में हैरानी इस बात को लेकर है जब चिंतन शिविर हो ही रहा था, प्रशांत बीच मे कहां से आ गए।
वहीं प्रशांत को लेकर अभी फैसला होना है, लेकिन पार्टी में तमाम तरह की चचार्एं हैं। इस बीच सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर की तारीखों को अंतिम रूप दे जिस तरह से कमेटियों की घोषणा की, इससे यही सन्देश गया है सोनिया को अपने पुराने नेताओं पर अभी भी पूरा भरोसा है।
अंसन्तुष्ठ गुट के माने जाने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कृषि और किसानों के मुद्दों की समिति के संयोजक की तथा मुकुल वासनिक को संगठन समिति के संयोजक की जिम्मेदारी दी है।
हुड्डा के साथ छतीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री टी सिंह देव समेत 9 नेता लगाए गए हैं। इसी तरह वासनिक के साथ अजय माकन और तारिक अनवर जैसे नेताओं को लगाया गया है।
राजनीतिक मामलों की जिम्मेदारी मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नवी आजाद, अशोक चव्हाण और शशि थरूर जैसे नेताओं को दी गई है। युवामामलो समिति का संयोजक अमरिंदर सिंह को बनाया गया गया है।
युवक कांग्रेस के अध्य्क्ष बीवी श्रीनिवास समेत 9 जन अमरिंदर सिंह के साथ रिपोर्ट तैयार करेंगे। सामाजिक न्याय मामलों की समिति का संयोजक सलमान खुर्शीद बनाए गए हैं। इनके साथ दिग्गविजय सिह,शैलजा और मीरकुमार जैसे वरिष्ठ नेता लगाए गए हैं।
आर्थिक मामलों की समिति का संयोजक पी चिदंबरम को बनाया गया है। उनके साथ आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और सचिन पायलट समेत 9 नेता लगाए गए हैं। यह समितियां शिविर में अपनी रिपोर्ट रखेंगी। जिन पर शिविर में चर्चा होगी। बाद में उन सहमति वाले सुझावों पर पार्टी काम करेगी।
उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर में पार्टी देश के मौजूदा हालात पर तो चर्चा करेगी ही साथ ही गठबंधन को लेकर भी फैसला करेगी। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनोती चेहरे को लेकर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते 8 साल में एक ऐसा चेहरा बन गए हैं जो राज्यों के में भी बाजी पलट दे रहे है। कांग्रेस को अब यही तय करना है कि मोदी के सामने गांधी परिवार ही चेहरा होगा या कोई गैर गांधी सामने लाया जाएगा।
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