संबंधित खबरें
BJP ने शुरू की दिल्ली विधानसभा की तैयारी… पूर्व APP नेता ने की जेपी नड्डा से मुलाकात, बताई पार्टी छोड़ने की बड़ी वजह
एलजी वीके सक्सेना CM आतिशी पर हुए मेहरबान, दीक्षांत समारोह में कह दी ये बात..
Delhi Jal Board: यमुना प्रदूषण पर एनजीटी की सख्ती, दिल्ली जल बोर्ड और नगर निगम पर 50 करोड़ का जुर्माना
CM Atishi News: दिल्ली में BJP को झटका, CM आतिशी के खिलाफ मानहानि केस पर रोक
Delhi Pollution News: प्रदूषण से दिल्लीवाले हुए परेशान, SC ने सरकार और पुलिस को लगाई फटकार, दिए सख्त निर्देश
Delhi News: सर्दियों में घूमने का शानदार मौका, DDA के इन पार्कों में सिर्फ 10 रुपये में करें सैर
16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी। इस हिंसा में कई लोग घायल हो गए थे। वहीं पुलिस ने भी इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से आठ आरोपियों को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है।
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। जैसा कि आप जानते ही हैं कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी। इस हिंसा में कई लोग घायल हो गए थे।
वहीं पुलिस ने भी इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से आठ आरोपियों को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। वहीं कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के रवैये पर भी सख्त टिप्पणी की है।
अदालत का कहना है कि इस घटना में पुलिस ही कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। जिस जुलूस के दौरान यह दंगा हुआ उसे निकालने के लिए अनुमति नहीं ली गई थी। बावजूद इसके पुलिस इस तीसरे जुलूस के साथ चल रही थी।
आपको बता दें कि रोहिणी स्थित विशेष न्यायाधीश गगनदीप सिंह की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस की एफआईआर ही बता रही है कि स्थानीय पुलिस जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर राजीव रंजन कर रहे थे। साथ ही पुलिस उपायुक्त (रिजर्व) खुद बगैर अनुमति लिए निकाले जा रहे इस जुलूस को रोकने की बजाय इसके साथ सुरक्षा देते हुए चल रहे थे।
पुलिस को चाहिए था कि बगैर इजाजत लिए अवैध जुलूस को निकालने की जानकारी मिलते ही उसे वहीं रोक देना चाहिए था। साथ ही भीड़ को भी वहां से हटा दिया जाना चाहिए था, जिससे इस घटना से बचा जा सकता था।
अदालत ने इस आदेश की कापी पुलिस कमिश्नर को भेजने के निर्देश देते हुए कहा है कि प्रथमदृष्टया इस मामले में अवैध जुलूस को रोकने में स्थानीय पुलिस की विफलता नजर आती है। ऐसा लगता है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुमति लेने संबंधी तथ्य को दरकिनार कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि इस संबंध में संबंधित अधिकारियों के दायित्व तय किए जाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो और ऐसी घटनाओं को रोकने में सक्षम हो। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस का इस घटना के लिए दायित्व तय होने के लिए जांच होनी चाहिए।
वहीं पुलिस की तरफ से अदालत में कहा गया कि 16 अप्रैल को दो जुलूसों के निकलने की इजाजत ली गई थी, जबकि यह तीसरा जुलूस जिसके दौरान साम्प्रदायिक हिंसा हुई उसकी अनुमति नहीं ली गई थी। हालांकि, पुलिस की तरफ से कहा गया था कि वह तीसरे जुलूस को भी सुरक्षा दे रहे थे।
हिंसा के आठ आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा है कि पुलिस के मुताबिक, यह आरोपी स्थानीय बदमाश हैं, जिनकी वजह से लोग सामने आकर गवाही देने को तैयार नहीं हैं। यहां तक की वीडियो फुटेज के आधार पर जिन लोगों को पकड़ा गया और जिन लोगों को गवाह बनाया गया।
उन गवाहों को भी लगातार धमकियां मिल रही हैं। ऐसे में आरोपियों को जमानत दिया जाना उचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि अभी तक इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
मामले की जांच जारी है। 30 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, जबकि तीन नाबालिग पकड़े गए हैं। पुलिस ने अदालत को बताया था कि घटना में आठ पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे, जिनमें से एक को गोली लगी थी।
यह भी पढ़ें : दिल्ली जहांगीरपुरी हिंसा मामले में 3 और आरोपी गिरफ्तार, जानें कैसे चढ़े पुलिस के हत्थे?
यह भी पढ़ें: श्रीलंका में फिर लगा आपातकाल, डिप्टी स्पीकर चुनाव के बाद फिर बढ़ा हंगामा
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.