India News(इंडिया न्यूज़),HC Yamuna River: दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना खादर क्षेत्र में चल रही नर्सरियों को अवैध करार देते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा हटाने की कार्रवाई को पूरी तरह जायज ठहराया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस भूमि पर कब्जा करना न केवल अवैध है, बल्कि इससे यमुना नदी की हालत और खराब होती जा रही है। हाई कोर्ट ने इस आधार पर नर्सरियों को हटाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।
नर्सरी कल्याण संगठन नामक संस्था की ओर से दाखिल इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि डीडीए ने न तो संगठन के सदस्यों को सुनवाई का मौका दिया और न ही भूमि का उचित सीमांकन किया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उनकी बागवानी गतिविधियां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों के अनुरूप हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। हाई कोर्ट के जस्टिस धर्मेश शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि यह भूमि मास्टर प्लान-2021 के जोन-ओ के अंतर्गत आती है, जो बाढ़ क्षेत्र में स्थित है। सुप्रीम कोर्ट और NGT के निर्देशों के अनुसार, इस भूमि से अतिक्रमण हटाकर ‘मयूर नेचर पार्क’ विकसित किया जाना आवश्यक है।
HC Yamuna River: दिल्ली HC ने DDA के एक्शन को बताया सही
कोर्ट ने साफ किया कि याचिकाकर्ता इस भूमि पर किसी भी मकसद से कब्जा नहीं कर सकते, न ही वे पुनर्वास या वैकल्पिक आवंटन की मांग कर सकते हैं। यदि ऐसा करने की अनुमति दी गई तो सरकारी एजेंसियों के लिए सार्वजनिक परियोजनाओं को लागू करना असंभव हो जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यमुना नदी की स्थिति पहले ही बेहद खराब हो चुकी है और इसे सुधारने के प्रयासों में कोई भी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जा सकता। नर्सरियों को वहां बनाए रखने से दिल्ली के हरित क्षेत्र और पर्यावरणीय सुधार की योजनाओं को नुकसान पहुंचेगा। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में दोहराया कि अवैध कब्जे को हटाना जरूरी है ताकि राजधानी की पारिस्थितिकी को संतुलित किया जा सके और यमुना को उसके प्राकृतिक स्वरूप में लौटाने के प्रयास सफल हो सकें।
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