इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Kisan Andolan Delhi Border Latest Update : तीन कृषि कानून और एमएसपी सहित कई मांगों को लेकर चल रहा किसान आंदोलन समाप्त हो सकता है। सरकार ने पहले ही तीनों कृषि कानूनों को रद कर दिया है। जिसके बाद से किसानों का रूख भी नरम हो गया है।
ऐसे में कानून रद होने के बाद से ही यह बात सामने आ रही है कि किसान जल्द ही दिल्ली बॉर्डर से धरना समाप्त करके वापिस जा सकते हैं। इस संबंध में सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हो चुकी है। ुअब किसानों और सरकार के बीच केस वापसी पर पेंच अड़ा हुआ है।
सरकार कह रही है कि आंदोलन खत्म होने के बाद केस वापसी पर ऐलान करेंगे और किसान कह रहे हैं कि पहले केस वापसी हो उसके बाद ही आंदोलन समाप्त होगा। इस बारे में किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन खत्म करने पर आज ही घोषणा करने की तैयारी थी लेकिन सरकार ने केस वापसी न लेकर मामले को लटका दिया। अगर सरकार संशोधित प्रस्ताव भेजेगी तो आंदोलन पर फैसला हो जाएगा।
किसानों में सबसे पहले केस वापसी को लेकर संशय बना हुआ है। इस बारे में हरियाणा के 26 किसान संगठनों ने कहा है कि अगर बिना केस वापस हुए आंदोलन को खत्म किया गया तो सरकार कहीं वादे से मुकर न जाए। किसानों का कहना है कि वे जाट आंदोलन की तरह फंस जाएंगे।
जाट आंदोलन को भी सरकार ने इसी तरह खत्म कराया था। उसके बाद केस नहीं खत्म किए गए। पंजाब के 32 संगठन भी इस मांग में उनके साथ हैं। इसके साथ ही किसान नेता अशोक धावले ने कहा कि केस वापसी को लेकर किसानों में संदेह है। अकेले हरियाणा में ही 48 हजार से ज्यादा किसानों पर केस दर्ज हैं।
इसके अलावा रेलवे, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान और मध्यप्रदेश में केस दर्ज हैं। सरकार को इस मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार केस वापसी के लिए समय निश्चित करे। किसानों को सरकार की नीयत पर संदेह है।
किसानों को डर है कि समय आने पर कहीं सरकार बदल न जाए। केंद्र सरकार ने पहले आंदोलन खत्म करने की बात कही लेकिन सरकार इसे टाइम बाउंड करे। किसानों को सरकार की नीयत पर शक न रहे। किसानों को संदेह है कि सरकार कहीं बात न बदल जाए।
एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में किसान नेता बलबीर राजेवाल ने बयान दिया है। राजेवाल ने कहा कि सरकार ने एमएसपी के मुद्दे पर किसानों से बात की है। जिसमें कई दूसरे संस्थानों के अफसर, किसानों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं। किसानों को और हमें सरकार की इस बात पर ऐतराज है। ऐसे लोगों को कमेटी में कतई जगह नहीं मिलनी चाहिए जो सरकार के साथ कानून बनाने में शामिल थे।
अशोक धावले बोले कि एमएसपी कमेटी में किसान संगठन और उनके प्रतिनिधित्व को शामिल किया जाना चाहिए। क्योंकि वह किसानों के हक की बात करेंगे। हरियाणा किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि एमएसपी कमेटी को सरकार पर शक है कि कहीं वह कृषि कानूनों के समर्थन वालों को कमेटी में न रख ले। ऐसे लोगों का शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने कानूनों को रद कर दिया जो अच्छी बात है। इसके साथ ही सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दी है, लेकिन हमारी मांग है कि केंद्र सरकार पंजाब मॉडल की तरह मुआवजे की मांग को माने। किसानों ने बताया कि पंजाब मॉडल में 5 लाख का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी का जिक्र है।
इससे पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा। इसके साथ ही किसानों ने कहा कि बिजली बिल को संसद में न लाया जाए। इससे किसानों की परेशानी बढ़ेगी। वहीं पराली के मुद्दे पर बोलते हुए किसानों ने कहा कि सरकार ने पराली मामले में केस करने से इनकार कर दिया है। वहीं सरकार को चाहिए कि सरकार पराली कानून वाले सेक्शन को भी रद करे।
किसान आंदोलन को खत्म किए जाने की बात पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने कहा है कि वह केस वापस ले लेगी। हमने कह दिया कि हम आंदोलन खत्म कर देंगे। ऐसे में सरकार की बात पर भरोसा नहीं हो पाता। टिकैत ने कहा कि किसानों के ट्रैक्टर थानों में खड़े हैं।
बाद में कौन जाएगा ट्रैक्टर लेने। इसलिए सरकार को चाहिए कि सारी स्थिति को स्पष्ट करे। पहले केस वापिस ले और उसके बाद किसान वापसी करेंगे। किसानों को यहां से वापस जाने में 8 दिन से ज्यादा का समय लगेगा।
वहीं जब आंदोलन खत्म करने की बात की गई तो किसान नेता ने बताया कि सरकार ने जो ड्राफ्ट भेजा है उसमें कुछ भी क्लीयर नहीं हो रहा। काफी चर्चा की गई है अब सरकार को प्रस्ताव वापिस भेजे जाएंगे। उम्मीद है कि कल हमें सरकार से जवाब मिल जाएगा। सरकार से जो भी आफर आएगा, उस पर चर्चा कर आगे की कार्रवाई होगी।
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