Hindi News / Dharam / 5 Deserted Cities Of India Skeletons Worshipped How Used For Aghori Sadhna

भारत के वो 5 सूनसान शहर जहां होती है कंकाल पूजा, अघोर साधना के लिए ऐसे करते हैं इस्तेमाल!

Aghor Sadhana: अघोर पंथ को शैव और शाक्त संप्रदाय की तांत्रिक साधना माना जाता है। माना जाता है कि अघोर की उत्पत्ति भगवान दत्तात्रेय से हुई है।

BY: Preeti Pandey • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज),Aghor Sadhana: अघोर पंथ को शैव और शाक्त संप्रदाय की तांत्रिक साधना माना जाता है। माना जाता है कि अघोर की उत्पत्ति भगवान दत्तात्रेय से हुई है। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। अघोर की प्रारंभिक उत्पत्ति काशी से मानी जाती है, समय के साथ इसके पीठों का विस्तार हुआ और आज आपको देश में कई जगहों पर अघोरियों को तांत्रिक साधना करते हुए मिल जाएंगे। कहा जाता है कि अघोर अक्सर सुनसान इलाकों के श्मशान घाटों में साधना करते हैं।

सुनसान इलाकों साधना

काशी

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मणिकर्णिका घाट को अघोरी तंत्र साधना का मुख्य केंद्र माना जाता है। कहा जाता है कि अघोरी यहां शवों को खाते हैं और मानव खोपड़ी में पानी पीते हैं। मणिकर्णिका घाट पर आपको अघोरी साधक आसानी से मिल जाएंगे।

इस दिन से ‘पिशाच योग’ खा जाएगा 3 राशियों का सुख-चैन, 50 दिनों में हो जाएगा ऐसा हाल, जान लें ऐसा क्या होने वाला है?

Aghor Sadhana: 5 सूनसान शहर जहां होती है कंकाल पूजा

तारापीठ

कहा जाता है कि तारापीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम में द्वारका नदी के पास है। यह कोलकाता से करीब 265 किलोमीटर दूर है। तारापीठ को तांत्रिकों, शाक्तों, शैवों, कपालिकों और अघोरियों द्वारा पूजनीय माना जाता है। इस स्थान पर सती की आंखें गिरी थीं, इसलिए यह शक्तिपीठ बन गया। तारापीठ में मां तारा सती के रूप में विराजमान हैं और इसके पीछे महाश्मशान है, जहां अघोरी अपनी साधना करते हैं।

विंध्याचल

विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी माता का मंदिर है। मान्यता है कि महिषासुर का वध करने के बाद मां दुर्गा विश्राम के लिए इसी स्थान पर रुकी थीं। भगवान राम स्वयं माता सीता के साथ यहां आए थे और तपस्या की थी। यहां आसपास कई गुफाएं हैं, जिनमें अघोरी साधक अपनी साधना करते हैं।

इस मूलांक के जातकों के खुल सकते हैं भाग्य, पलट जाएगा भाग्य का लिखा, दूर होंगे सारे दुख!

चित्रकूट

चित्रकूट को अघोर संप्रदाय के भगवान दत्तात्रेय की जन्मस्थली माना जाता है। इसी कारण यह स्थान अघोरी साधकों के लिए पवित्र माना जाता है। अघोरों की किनारामी परंपरा की उत्पत्ति यहीं से मानी जाती है। कहा जाता है कि यहां मां अनुसुइया का आश्रम है और सिद्ध अघोराचार्य शरभंग का आश्रम भी है। यहां अघोरियों के लिए स्फटिक शिला है, जो उनके लिए बेहद खास है।

काली मठ

हिमालय की तलहटी में गुप्तकाशी से ऊपर कालीमठ नाम का एक स्थान है। यहां कई अघोरी साधक रहते हैं। यहां से 5 हजार फीट ऊपर एक पहाड़ी पर काल शिला है, यहीं पर अघोरी रहते हैं। मान्यता है कि भगवान राम ने कालीमठ में अपनी तलवार स्थापित की थी।

Today Horoscope: मेष से लेकर मीन तक जानें कैसा रहेगा 12 राशियों का आज का दिन, किसके हिस्से लिखा है क्या जानें सब कुछ

Tags:

Aghor SadhanaAghoris

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue