India News (इंडिया न्यूज), Naga Sadhu: प्रयागराज में अखाड़ों के संतों, नागा साधुओं और धर्म संसद का जमावड़ा शुरू हो गया है। महाकुंभ में नागा साधुओं की हमेशा एक अलग पहचान होती है, शरीर पर भस्म लगाए इनका समूह दूसरों से बिल्कुल अलग होता है। नागा साधुओं का जीवन कई रहस्यों से भरा होता है। महाकुंभ में ये कहां से आते हैं और आयोजन खत्म होने के बाद कहां चले जाते हैं, ये कोई नहीं जानता। इनका जीवन रहस्यों से भरा होता है, ऐसे में आइए जानते हैं कि नागा साधुओं का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है, लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि नागा साधुओं का समूह क्यों बना?
नागा साधुओं ने कठोर तपस्या करके अपने जीवन में सब कुछ त्याग दिया है और उन्हें मनुष्यों में सबसे पवित्र माना जाता है। नागा साधु बनने के लिए कम से कम 6 साल की कठोर तपस्या करनी पड़ती है, साथ ही कई सालों तक गुरुओं की सेवा भी करनी पड़ती है। कहा जाता है कि जब आदि शंकराचार्य ने 4 मठों की स्थापना की थी, तो उन्होंने इन मठों की दुष्टों से रक्षा करने के लिए नागा साधुओं का समूह बनाया था। तब से लेकर आज तक नागा साधुओं का समूह देश और धर्म की रक्षा करता आ रहा है। जब इनका समय पूरा हो जाता है, तो इनका अंतिम संस्कार अन्य लोगों की तरह नहीं होता।
Naga Sadhu: कठोर तपस्वी नागा साधुओं का इस परंपरा से होता है अंतिम संस्कार
नागा साधुओं का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है, वे अपनी कठोर तपस्या, सादा जीवन और अनूठी परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। न केवल इनका जीवन, बल्कि इनका अंतिम संस्कार भी आम लोगों से काफी अलग होता है।
नागा साधुओं का अंतिम संस्कार सामान्य दाह संस्कार से बिल्कुल अलग होता है। इनके अंतिम संस्कार की विधि को ‘जल समाधि’ या ‘भू समाधि’ कहते हैं। आइए इसे समझते हैं
जब किसी नागा साधु की मृत्यु होती है, तो उसके शव को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ तैयार किया जाता है। सबसे पहले शव को पवित्र गंगा जल और अन्य पवित्र वस्त्रों से स्नान कराया जाता है। फिर उसके शव को आसन में बैठाकर समाधि स्थल पर रख दिया जाता है।
समाधि स्थल एक तरह का गड्ढा होता है, जिसे साधु की स्थिति के अनुसार गहराई और आकार में तैयार किया जाता है। फिर मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के साथ उसे गड्ढे में बैठाकर मिट्टी से ढक दिया जाता है।
अगर नागा साधु चाहे तो उसके शव को किसी पवित्र नदी, खास तौर पर गंगा में जल समाधि समर्पित कर दी जाती है। यह प्रक्रिया साधु की इच्छा और उसके अखाड़े की परंपरा पर निर्भर करती है।
अंतिम संस्कार के दौरान मंत्रोच्चार और हवन भी किया जाता है। नागा साधुओं के शिष्य और उनके अखाड़े के साधु इस प्रक्रिया को पूरा करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया साधु की इच्छा और परंपराओं का पालन करते हुए पूरी की जाती है।
दरअसल, नागा साधुओं का मानना है कि उनका शरीर पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से बना है और मृत्यु के बाद उसे इन्हीं तत्वों में विलीन हो जाना चाहिए। ऐसे में नागा साधुओं की मृत्यु के बाद उन्हें भू समाधि या जल समाधि दी जाती है।