संबंधित खबरें
Today Horoscope: आज से इस 1 राशि के नसीब में आएगा अपार धन, तो वही इन 5 राशियों को उठाना पड़ेगा भारी नुकसान, जानें आज का राशिफल
सपने में होते देखना तलाक देता है ये गहरा संकेत, जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र?
महाभारत के इस महान योद्धा का किसी ने नही किया अंतिम संस्कार, खुद चौंक गए थे यमराज, जानें क्या है छुपा हुआ रहस्य!
राजयोग लेकर आते हैं ऐसे लोग जिनकी हथेली पर होती है ये स्पेशल रेखा, शादी से लेकर नौकरी तक नहीं खानी पड़ती कहीं भी ठोकर
महिलाओं के इस मंदिर में प्रवेश करने मात्र से उनके पति की हो जाती है मौत, मंदिर के पास से गुजरने में भी स्त्रियों की होती है हालत खराब
हिंदू धर्म में शादी के बाद भी पूर्ण रूप से पवित्र मानी गई हैं ये महिलाएं, जानें इसके पीछे छिपी ये बड़ी वजह
India News (इंडिया न्यूज), Shree Ram & Lakshman: श्रीराम और लक्ष्मण के रिश्ते का महत्त्व और उनके बीच गहरे प्रेम का वर्णन रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। लक्ष्मण, भगवान श्रीराम के लिए न केवल एक भाई थे, बल्कि वह उनके सबसे करीबी और विश्वसनीय साथी भी थे। लक्ष्मण ने श्रीराम के साथ वनवास का कठिन समय बिताया और हर परिस्थिति में उनके साथ खड़े रहे। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब भगवान श्रीराम को अपने सबसे प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देने का कठोर निर्णय लेना पड़ा।
धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार यमराज श्रीराम से एक विशेष चर्चा करने के लिए अयोध्या आए। यमराज ने श्रीराम से कहा कि यह वार्ता गोपनीय होनी चाहिए और इस बीच अगर कोई उन्हें बीच में बाधित करेगा तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। श्रीराम ने यह शर्त मान ली और अपने छोटे भाई लक्ष्मण को द्वारपाल के रूप में नियुक्त कर दिया।
लक्ष्मण को आदेश दिया गया कि किसी भी परिस्थिति में कोई अंदर न आने पाए। इसी बीच महान ऋषि दुर्वासा श्रीराम से मिलने के लिए आए। लक्ष्मण ने उन्हें रोका, लेकिन ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने अयोध्या को श्राप देने की धमकी दी।
वनवास के दौरान भगवान राम ने खुद बनाई थी ये अलौकिक चीजें…शिव से जुडी इस वास्तु की भी की थी स्थापना?
लक्ष्मण जी धर्मसंकट में पड़ गए। एक ओर उन्हें श्रीराम का आदेश मानना था, और दूसरी ओर ऋषि दुर्वासा को रोकने से पूरे राज्य पर संकट आ सकता था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, लक्ष्मण ने श्रीराम के पास जाकर ऋषि दुर्वासा की उपस्थिति की जानकारी दी।
श्रीराम ने यमराज से किया हुआ वादा याद किया और वे एक गहरे धर्मसंकट में पड़ गए। यमराज के साथ हुई शर्त के अनुसार, जो भी वार्ता के बीच में बाधा डालेगा उसे मृत्युदंड दिया जाना था। लेकिन श्रीराम के लिए अपने भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देना असहनीय था। उन्होंने धर्म और वचन का पालन करते हुए लक्ष्मण को त्यागने का निर्णय लिया।
लक्ष्मण, जिन्होंने पूरी निष्ठा और समर्पण से श्रीराम की सेवा की थी, यह समझ गए कि अब उनका जीवन समाप्त हो गया है। अपने भाई की आज्ञा का पालन करते हुए और धर्म का निर्वाह करते हुए, लक्ष्मण ने जल समाधि ले ली और अपने जीवन का अंत कर दिया।
महाभारत युद्ध के बाद विधवाओं के साथ हुआ था कुछ ऐसा कि…बदल गए थे माईने?
इस घटना से हमें धर्म, वचन और कर्तव्य के महत्व का गहरा संदेश मिलता है। श्रीराम ने अपने सबसे प्रिय भाई के साथ भी धर्म और वचन के प्रति निष्ठा बनाए रखी। यह कथा यह भी दिखाती है कि धर्म का पालन करना कभी-कभी अत्यंत कठिन हो सकता है, लेकिन उसका पालन करना आवश्यक होता है।
लक्ष्मण का त्याग और श्रीराम का निर्णय हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन वह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.