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India News (इंडिया न्यूज़), Lord Jagannath: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले उन्हें ‘अनावृष्टि’ (बीमारी) होने का परंपरागत एक मान्यता है। इसके पीछे कई पुरानी पौराणिक कथाएं और लोकगाथाएं हैं जो इस तथ्य को समर्थन देती हैं। इस बारे में विभिन्न मान्यताएं व्याप्त हैं, जैसे कि यह एक दिव्य रहस्य है जिसे न तो वैज्ञानिक रूप से समझा जा सकता है और न ही इसे लोग विश्वास रखते हैं।
भगवान जगन्नाथ की अनावृष्टि के बारे में विभिन्न कथाएँ हैं, जो इस विशेष घटना को समझाने की कोशिश करती हैं। कुछ कथाएँ यह बताती हैं कि भगवान जगन्नाथ को रथ यात्रा के लिए तैयारी के दौरान विशेष तौर पर विश्राम की आवश्यकता होती है, जब उन्हें बीमार हो जाता है। यह तैयारी भगवान की असाधारण शक्तियों के अनुसार होती है और वे इस अवस्था से जल्दी ठीक हो जाते हैं।
भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम की प्रतिमाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा को गृर्भग्रह से बाहर लाई जाती हैं और इस अवसर पर उन्हें सहस्त्र स्नान कराया जाता है। ठंडे पानी से इस स्नान का कारण है कि भगवान बीमार हो जाते हैं और उन्हें बुखार आ जाता है। इसलिए वे इस समय शयन कक्ष में विश्राम मुद्रा में बिताते हैं। माना जाता है कि इस एकांत के दौरान उनका उपचार भी इसी प्रकार किया जाता है, जैसे मनुष्यों के अस्वस्थ होने पर उनका देखभाल होता है।
कहते हैं कि जैसे मनुष्यों के अस्वस्थ होने पर उनका इलाज होता है, वैसे ही भगवान जगन्नाथ जी का भी एकांत में उपचार किया जाता है। इस दौरान उन्हें कई औषधियां दी जाती हैं और उन्हें औषधी के रूप में काढ़ा पिलाया जाता है। सादे भोजन जैसे खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है।
इसके बाद, जब वे पूरी तरह स्वस्थ होते हैं, तो तीनों देवी-देवता रथ यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा के दौरान, वे गुंडीचा मंदिर को जाकर अपनी मौसी के घर भी जाते हैं। फिर 10वें दिन, वे पुनः अपने स्थल पर लौट आते हैं।
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