India News (इंडिया न्यूज़), Durva’s Mahatva In Ganpati Puja: गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भक्तों के बीच अपार श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। गणपति बप्पा, जो सभी विघ्नों को दूर करने वाले और समृद्धि के दाता माने जाते हैं, की पूजा के दौरान दुर्वा (दुर्वा घास) का विशेष महत्व है। इस विशेष घास के बिना गणेश पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। लेकिन क्यों? जानिए इस पौराणिक कथा के माध्यम से।
एक बार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच एक विवाद छिड़ गया कि कौन सबसे श्रेष्ठ है। इस विवाद का समाधान करने के लिए, भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्णय लिया। प्रतियोगिता का उद्देश्य था कि कौन भी उन दोनों देवताओं में से सबसे श्रेष्ठ है, इसका पता लगाना।
सभी देवताओं ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और भगवान शिव ने एक विशाल और असीमित शिवलिंग की स्थापना की। प्रतियोगिता की शर्त थी कि जो भी इस शिवलिंग को सबसे पहले पूरा करेगा, वही सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा। विष्णु और ब्रह्मा दोनों ने अपने-अपने तरीके से इस प्रतियोगिता में भाग लिया।
विष्णु ने एक विशाल मछली का रूप धारण किया और शिवलिंग की ऊँचाई को मापने के लिए समुद्र की गहराइयों में चले गए। ब्रह्मा ने एक हंस का रूप लिया और शिवलिंग की ऊँचाई को मापने के लिए आकाश में उड़ गए। लेकिन किसी भी देवता ने शिवलिंग की ऊँचाई को पूरा नहीं किया, और इस प्रकार, प्रतियोगिता अधूरी रह गई।
जब यह प्रतियोगिता पूरी नहीं हो पाई, तो भगवान शिव ने गणेश जी को जन्म दिया। गणेश जी, जो एक अत्यंत बुद्धिमान और विवेकशील देवता थे, को सभी विघ्नों को दूर करने और समृद्धि प्रदान करने का कार्य सौंपा गया। गणेश जी ने अपने गुणों और शक्ति से सबको प्रभावित किया और उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा बढ़ी।
इस जगह मिलेंगे भारत के सबसे ‘अमीर बप्पा’ के दर्शन, 400 करोड़ का बीमा, 69 सोना… जानें सारी डिटेल
गणेश जी की पूजा के दौरान दुर्वा घास की विशेष महत्वता की वजह एक और पुरानी कथा है। एक बार भगवान गणेश ने अपने भक्तों को बताया कि दुर्वा घास में विशेष शक्ति होती है। यह घास भगवान गणेश के लिए विशेष रूप से प्रिय है और इसे अर्पित करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। दुर्वा घास, जो अक्सर हरियाली और ताजगी का प्रतीक मानी जाती है, भगवान गणेश की पूजा में अद्भुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, दुर्वा घास भगवान गणेश के पास उनकी शक्ति और संजीवनी की संजीवनी शक्ति के रूप में प्रकट होती है। इस घास की तीन पत्तियाँ भगवान गणेश की तीन आंखों का प्रतिनिधित्व करती हैं और इससे उनकी पूजा पूर्ण होती है। दुर्वा की पत्तियों का अर्पण भगवान गणेश को विशेष रूप से प्रिय है और यह पूजा को सम्पूर्णता प्रदान करता है।
जब महर्षि वेदव्यास के सामने रखी थी गणेश जी ने ऐसी शर्त….आखिर क्यों गणेशा ने ही लिखी थी महाभारत?
इस प्रकार, पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्वा घास गणेश पूजा का अभिन्न हिस्सा है। इसके बिना गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है। यह घास न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा है बल्कि भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गणेश चतुर्थी के दौरान, भक्तों द्वारा भगवान गणेश को दुर्वा अर्पित की जाती है, जिससे उनकी पूजा पूरी होती है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह प्रथा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरी धार्मिक भावना और विश्वास का प्रतीक है।
क्यों कभी भी खाना पकाते हुए नहीं जलते थे द्रौपदी के हाथ, जन्म से जुड़ा था रहस्य?
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.