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Garun Puran: मृत्यु के बाद अगरबत्ती न जलाने की परंपरा केवल एक धार्मिक विश्वास नहीं, बल्कि आत्मा और परिवार के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है। यह एक तरीके से मृतक के प्रति श्रद्धांजलि देने का एक साधन है।
India News (इंडिया न्यूज), Garun Puran: भारतीय संस्कृति में मृत्यु के बाद कुछ विशेष रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू है अगरबत्ती और धूपबत्ती जलाने की परंपरा। विशेष रूप से, यह कहा जाता है कि मृत्यु के बाद पहले दो दिनों में अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। आइए, इसके पीछे के कारणों को समझते हैं:
माना जाता है कि मृतक की आत्मा अपने शरीर को छोड़कर यात्रा पर निकलती है। यदि इन दिनों अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाई जाती है, तो इसकी सुगंध आत्मा को परेशानी में डाल सकती है। यह आत्मा के लिए एक अकारण विकर्षण उत्पन्न करती है, जिससे उसे शांति प्राप्त नहीं हो पाती।
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मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों को मानसिक और भावनात्मक रूप से शांति की आवश्यकता होती है। अगरबत्ती जलाने से होने वाली सुगंध और वातावरण को बदलना, परिवार के सदस्यों के लिए ध्यान भंग कर सकता है, जिससे वे अपने प्रियजन की यादों में डूब नहीं पाते।
भारतीय संस्कृति में, कुछ परंपराएं मृत्यु के बाद के दिनों में सख्ती से निभाई जाती हैं। ये मान्यताएं आत्मा की शांति और परिवार के सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
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मृत्यु के बाद अगरबत्ती न जलाने की परंपरा केवल एक धार्मिक विश्वास नहीं, बल्कि आत्मा और परिवार के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है। यह एक तरीके से मृतक के प्रति श्रद्धांजलि देने का एक साधन है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और परिवार को संजीवनी। इसलिए, इस परंपरा का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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