India News (इंडिया न्यूज़), Untold Secrets Of Mahabharat: महाभारत के युद्ध के 17वें दिन अर्जुन और युधिष्ठिर के बीच जो घटना घटी, वह महाकाव्य के कुछ सबसे गहरे रहस्यों में से एक है। अर्जुन के अपने बड़े भाई युधिष्ठिर पर तलवार उठाने के पीछे की घटना युद्ध के तनाव और महाभारत की जटिल भावनाओं और प्रतिज्ञाओं का परिणाम थी।
महाभारत के 17वें दिन कर्ण और युधिष्ठिर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। कर्ण, जो शस्त्र विद्या में निपुण थे, ने युधिष्ठिर पर एक ज़ोरदार वार किया जिससे युधिष्ठिर बुरी तरह घायल हो गए। हालांकि कर्ण उन्हें मार सकता था, लेकिन अपनी माँ कुंती को दिए गए वचन के कारण उसने युधिष्ठिर को जीवित छोड़ दिया। युधिष्ठिर को घायल अवस्था में देखकर नकुल और सहदेव उन्हें युद्धभूमि से तंबू में ले गए ताकि उनकी मरहम-पट्टी हो सके।
उधर, अर्जुन और भीम अभी भी कौरव सेना के साथ संघर्ष कर रहे थे। अर्जुन को अपने भाई की हालत के बारे में कुछ भी पता नहीं था। जब उन्होंने युद्ध भूमि में युधिष्ठिर को नहीं देखा तो भीम से उनके बारे में पूछा। भीम ने अर्जुन को बताया कि युधिष्ठिर कर्ण के साथ युद्ध में बुरी तरह घायल हो गए हैं और तंबू में हैं। यह सुनकर अर्जुन तुरंत युधिष्ठिर के तंबू की ओर चल दिए।
जब अर्जुन युधिष्ठिर से मिलने पहुंचे, तो युधिष्ठिर ने सोचा कि अर्जुन कर्ण को पराजित कर खुशखबरी देने आए हैं। लेकिन जब अर्जुन ने उन्हें बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि युधिष्ठिर कर्ण के साथ युद्ध में घायल हुए हैं और भीम से सुनकर वो यहां आए हैं, तो युधिष्ठिर को गहरा धक्का लगा।
युधिष्ठिर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और उन्होंने अर्जुन को ताना मारते हुए कहा कि अगर तुम कर्ण को मार नहीं सकते, तो तुम्हारे पास वह गांडीव (धनुष) क्यों है? इसे फेंक दो, क्योंकि इससे कोई फायदा नहीं है अगर तुम कर्ण को हराने में असमर्थ हो। युधिष्ठिर के इस कटु वचन से अर्जुन गुस्से में आगबबूला हो गए। अर्जुन ने एक प्रतिज्ञा ली थी कि अगर कोई उनका अपमान करेगा या उनके धनुष गांडीव का अपमान करेगा, तो वह उसे मार डालेंगे, चाहे वह कोई भी हो। इसी प्रतिज्ञा के कारण अर्जुन ने क्रोध में आकर अपनी तलवार उठा ली और युधिष्ठिर को मारने के लिए आगे बढ़े।
जब अर्जुन अपने बड़े भाई युधिष्ठिर पर तलवार चलाने वाले थे, तब श्रीकृष्ण ने बीच में आकर स्थिति को संभाला। उन्होंने अर्जुन को समझाया कि युधिष्ठिर का अपमान करने के बावजूद उन्हें मारना सही नहीं होगा। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गुस्से पर काबू रखने और शांति से सोचने की सलाह दी।
श्रीकृष्ण ने यह भी समझाया कि किसी का अपमान करना मानसिक मृत्यु के समान है और यदि अर्जुन अपने बड़े भाई को कठोर शब्द कहें, तो वह उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो जाएगी। इसके बाद, अर्जुन ने युधिष्ठिर से माफी मांगते हुए कठोर शब्द बोले, जिससे उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो गई और युधिष्ठिर का जीवन बच गया।
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यह घटना महाभारत के युद्ध की जटिलताओं और पात्रों के गहरे भावनात्मक उतार-चढ़ाव को दर्शाती है। अर्जुन का अपने ही बड़े भाई युधिष्ठिर पर तलवार उठाना न केवल उनकी प्रतिज्ञा और गुस्से की वजह से था, बल्कि युद्ध की परिस्थितियों में बढ़ते मानसिक तनाव का परिणाम भी था। श्रीकृष्ण की सूझबूझ से यह संकट टल गया, लेकिन इस घटना ने दिखाया कि महाभारत का युद्ध केवल शारीरिक लड़ाई ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संघर्षों से भी भरा हुआ था।
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