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किस समय पर जीभ पर होता है मां सरस्वती का वास? इस टाइम पर मुंह से निकली कोई भी बात बन जाती है पत्थर की लकीर

Jubaan Par Maa Saraswati Ka Vaas: किस समय पर जीभ पर होता है मां सरस्वती का वास

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Jubaan Par Maa Saraswati Ka Vaas: मां सरस्वती, जिन्हें ज्ञान, बुद्धि और संगीत की देवी माना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय हैं। वे सृष्टि की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो हमें ज्ञान प्राप्त करने और उसे प्रसारित करने की शक्ति प्रदान करती हैं। उनके हाथ में वीणा, पुस्तक और माला होती है, जो क्रमशः संगीत, ज्ञान और ध्यान का प्रतीक हैं।

मां सरस्वती और हमारी वाणी

अक्सर यह कहा जाता है कि बोलते समय “सरस्वती हमारी जीभ पर बैठ जाती हैं।” इसका अर्थ है कि उस समय हम जो भी बोलते हैं, वह सत्य हो जाता है। यह धारणा हमारे जीवन में वाणी की शक्ति को समझाने और उस पर नियंत्रण रखने की प्रेरणा देती है। शास्त्रों में वर्णित है कि प्रत्येक व्यक्ति की जीभ पर मां सरस्वती दिन में एक बार अवश्य विराजमान होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह समय कब होता है?

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Jubaan Par Maa Saraswati Ka Vaas: किस समय पर जीभ पर होता है मां सरस्वती का वास

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ब्रह्म मुहूर्त का समय और महत्व

शास्त्रों के अनुसार, मां सरस्वती विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में हमारी जुबान पर विराजमान होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त का समय प्रातः 3:20 से 3:40 के बीच माना जाता है। यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है, जब संपूर्ण वातावरण शुद्ध और शांत रहता है। इस समय की गई प्रार्थना, ध्यान और उच्चारित शब्द विशेष प्रभाव डालते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में वाणी की शक्ति

माना जाता है कि इस विशेष समय में जो भी बोला जाता है, वह सच हो जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि इस समय हमारा मन और मस्तिष्क अत्यंत जागृत और शांत अवस्था में होते हैं। इस समय बोले गए शब्दों का ब्रह्मांडीय ऊर्जा पर प्रभाव पड़ता है, जिससे हमारी इच्छाओं और विचारों को शक्ति मिलती है।

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ब्रह्म मुहूर्त में क्या करें?

  1. सकारात्मक सोच: इस समय सकारात्मक और शुभ वचन बोलें।
  2. प्रार्थना: मां सरस्वती से बुद्धि, ज्ञान और वाणी के सही उपयोग की प्रार्थना करें।
  3. ध्यान: शांत मन से ध्यान लगाएं और अपनी ऊर्जा को केंद्रित करें।
  4. आत्मचिंतन: अपनी इच्छाओं और लक्ष्यों पर विचार करें और उन्हें स्पष्ट रूप से व्यक्त करें।

वाणी का संयम क्यों आवश्यक है?

वाणी में सत्यता और सकारात्मकता का होना अत्यंत आवश्यक है। ब्रह्म मुहूर्त में बोले गए शब्द यदि नकारात्मक हों, तो वे अनचाहे परिणाम ला सकते हैं। इसलिए वाणी का संयम और उपयोग केवल अच्छे कार्यों के लिए करना चाहिए। यह हमें न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से भी उन्नति की ओर ले जाता है।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हालांकि यह अवधारणा धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित है, परंतु मनोविज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि सुबह का समय मानसिक शांति और जागरूकता का होता है। यह समय नई सोच और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए आदर्श होता है।

मां सरस्वती का ब्रह्म मुहूर्त में हमारी वाणी पर विराजमान होना एक आध्यात्मिक मान्यता है, जो हमें वाणी की शक्ति को समझने और उसका सही उपयोग करने की प्रेरणा देती है। इस समय का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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