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India News (इंडिया न्यूज), Bada Ganesh Ji temple of Varanasi: काशी, वाराणसी में बड़ा गणेश भगवान यानी गणपति का खास और प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर में उन्हें वक्रतुंड के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की विषेशता बताए तो इसमें गणपति जी की मूर्ति स्वयंभू है, जो बिलकुल उनके पिता शिव की तरह है। जिसमें उनकी दो नहीं बल्कि तीन आंखें हैं। मान्यता है कि सिंदूरी रंग की गणेश मूर्ति के दर्शन मात्र से व्यक्ति के कई कष्ट दूर हो जाते हैं। बड़ा गणेश भगवान के दर्शन और पूजन से सभी रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं और तरक्की की राह आसान हो जाती है।
इसके साथ ही बताए तो गणपति जी अपनी पत्नी ऋद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ इस मंदिर में विराजमान हैं। इस मंदिर में देवी मनसा, संतोषी मां और हनुमान जी भी विराजमान हैं। इस मंदिर में गणपति जी गर्भगृह में विराजमान हैं और उनके वाहन मूषकराज गर्भगृह के बाहर विराजमान हैं। यह मंदिर वाराणसी के लोहटिया में स्थित है। यहां गणेश जी की स्वयंभू मूर्ति है और बंद दरवाजे के पीछे भगवान की खास पूजा-अर्चना की जाती है।
वहीं मंदिर की खासियत के बारें में बताए तो ये 40 खंभों पर टिका है और मंदिर में 40 खंभों का होना बेहद शुभ माना जाता है। इस मंदिर को मीनाकारी और पत्थरों को तराश कर तैयार किया गया है। इसके अलावा बता दें कि यहां यहां गणपति जी को चांदी के छत्र के नीचे रखा गया है। मान्यता है कि एक समय में बाबा विश्वनाथ के पास गंगा बहती थी। यहां विश्वनाथ द्वार पर विराजमान ढुंढिराज गणेश और उनके स्वरूप की भी पूजा की जाती है। Bada Ganesh Ji temple of Varanasi
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गणेश मंदिर का इतिहास 2000 साल पुराना है। इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि उस समय काशी में गंगा के साथ मंदाकिनी भी रहती थी और भगवान गणपति की ये प्राकृतिक मूर्ति खुद नदी से ही निकली थी। इसे आज भी मंदिर में अपने मूल स्वरूप में देखा जा सकता है। खासियत में कुछ बातें जोड़े तो गणपति जी की ये मूर्ति साढ़े 5 फीट बड़ी है और इनकी तीन आंखें हैं। गणपति जी यहां अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं और गणपति जी की तीन आंखें होने की वजह से इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त को गणपति जी आशीर्वाद जरूर देते हैं। जब भी आप यहां गणपति जी की पूजा करें तो उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
इसके बाद दूर्वा और लड्डू चढ़ाएं। अगर आप बड़े गणेश से कोई मनोकामना पूरी करवाना चाहते हैं तो बुधवार के दिन यहां आकर उनकी विधिवत पूजा करें और उसके बाद उन्हें अपनी मनोकामना बताएं। साथ ही वादा करें कि अगर उनकी मनोकामना पूरी हो गई तो वे दोबारा विधिवत पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने आएंगे।
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