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Eid al-Adha 2023: देश भर में आज मनाया जा रहा बकरीद का त्योहार, जानें कुर्बानी के रिवाज की कहानी

BY: Priyambada Yadav • LAST UPDATED : June 29, 2023, 1:19 pm IST
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Eid al-Adha 2023: देश भर में आज मनाया जा रहा बकरीद का त्योहार, जानें कुर्बानी के रिवाज की कहानी

प्रतीकात्मक तस्वीर

India News (इंडिया न्यूज़),Eid al-Adha 2023, दिल्ली: आज यानी गुरुवार, 29 जून को देशभर में ईद-उल-अजहा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसे ईद उल-अजहा भी कहते हैं। बकरीद के दिन नमाज के बाद बकरे या किसी अन्य जानवर की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो जाएगा। बकरीद पर कुर्बानी का काफी खास महत्व माना जाता है। आइए इस बकरीद हम आपको बताते है कुर्बानी के रिवाज की पूरी कहानी।

गोश्त का बटवारा सही ढ़ग से किया जाता है 

बकरीद पर कुर्बानी के बाद जो गोश्त निकलता है, उसे तीन हिस्सों में बांट दिया जाता है। इनमें एक हिस्सा खुद के लिए, एक रिश्तेदारों के लिए और एक गरीबों के लिए होता है। इन हिस्सों को सही से बांटने के बाद ही कुर्बानी का गोश्त जायज माना जाता है। यदि ये गोश्त का बटवारा सही ढ़ग से नही किया गया तो, कुर्बानी का गोश्त जायज नही माना जाएगा। आपको बता दें कि इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस्लाम के पैगंबर हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे। उनके बेटे का नाम इस्माइल था। इस्माइल से पिता हजरत इब्राहिम को बहुत ज्यादा लगाव और प्यार था।

अल्लाह के हुक्म पर बेटे की कुर्बानी 

इसी बीच हजरत इब्राहिम को एक रात ख्वाब आया कि उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करना होगा। बता दें कि इस्लामिक जानकार बताते हैं कि हजरत इब्राहिम के लिए ये अल्लाह का हुक्म था, जिसके बाद हजरत इब्राहिम ने बेटे को कुर्बान करने का फैसला किया। अगर बात की जाए, इस्लामिक मान्यताओं की तो, इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह के हुक्म पर बेटे इस्लाइन की कुर्बानी देने से पहले हजरत इब्राहिम ने कड़ा दिल करते हुए आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने बेटे की गर्दन पर छुरी रख दी। हालांकि, उन्होंने जैसे ही छुरी चलाई तो वहां अचानक उनके बेटे इस्माइल की जगह एक दुंबा यानी बकरा आ गया। हजरत इब्राहिम ने आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही-सलामत थे।

ईद पर जानवरों की कुर्बानी की ये परंपरा

बता दें कि इस्लामिक मान्यता है कि ये सिर्फ अल्लाह का एक इम्तिहान था। अल्लाह के हुकुम पर हजरत इब्राहिम बेटे को भी कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए। इस तरह ईद पर जानवरों की कुर्बानी की ये परंपरा शुरू हुई थी। बता दें कि हर साल बकरीद की तारीख धुल हिज्जा महीने के चांद के दिखने पर ही निर्भर करती है। लेकिन इस बार बकरीद की तारीख थोडी अलग है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, धुल हिज्जा महीना इस्लाम का 12वां महीना होता है।

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