संबंधित खबरें
पति के लिए भाग्यशाली होती हैं इस मूलांक की लड़कीयां, शादी के बाद ही ऐसा चमक जाती है किस्मत, बन जाते हैं करोड़पति!
2025 में काली हो जाएगी दुनिया…हिल जाएगी धरती, नास्त्रेदमस की आखों ने देखा भविष्य का रूह कंपा देने वाला नजारा
बाबा खाटू श्याम का ये 1 पावरफुल मंत्र पलट देगा किस्मत, जानें जपने का सही तरीका
साल 2025 में इन 5 राशियों पर गिरेगी गाज, ग्रहों के सेनापति मंगल चलेंगे उल्टी चाल, फूंक-फूंक कर रखें कदम
अर्जुन से क्यों इतनी नफरत करती थी मां गंगा…कि उसकी मौत देख जोर-जोर से लगीं थी हंसने?
साल 2025 में शनि चलेंगे ऐसी चाल की पलट कर रख देंगे इन 3 राशियों का जीवन, बड़े नुकसान की है आशंका, हो जाएं सावधान
India News(इंडिया न्यूज), Lord Ram & Vishnu: ”राम” एक ऐसा नाम जिसका मात्र जप करने से इंसान के कितने पाप मिट जाते हैं। यहां तक कि हिंदू संस्कारों में जन्म से लेकर मृत्यु तक राम का नाम किसी ना किसी तरह हमसे जुड़ा हुआ ही है। क्योकि राम नाम का अर्थ- संतों और विद्वानों ने अपने-अपने हिसाब से इसकी व्याख्या करते हुए इसका वर्णन किया हैं।
जब इंडिया न्यूज़ ने रिसर्च की तो अलग-अलग जगह से हमें राम नाम के 10 अर्थ प्राप्त हुए। हर अर्थ से ये ही निकलकर आ रहा है कि राम सर्वव्यापी हैं। लेकिन आज हम आपको कुछ और भी बेहद खास बताने जा रहे हैं जिसे जानने के लिए आप बेहद उत्सुक हो जायेंगे। और वो हैं विष्णु जी का राम अवतार और इसके पीछे का कारण….
भगवान विष्णु के राम अवतार से जुड़े दो श्राप और दो वरदानों के बारे में जानकारी देता हूँ:
भगवान विष्णु के वैकुंठलोक में द्वारपाल जय-विजय ने सनकादि मुनियों को हंसी उड़ाते हुए रोका था। इससे सनकादि मुनियों को अपमान महसूस हुआ और उन्होंने जय-विजय को शाप दिया कि वे तीन जन्मों तक राक्षस योनि में जन्म लेंगे।
सनकादि मुनियों ने उन्हें भी वरदान दिया कि तीनों जन्मों में भगवान विष्णु के हाथों ही उनका अंत होगा, जिससे उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा।
जय-विजय ने पहले जन्म में हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष के रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वध वराह अवतार और हिरण्यकश्यपु का वध नृसिंह अवतार लेकर किया।
दूसरे जन्म में जय-विजय ने रावण और कुंभकर्ण के रूप में जन्म लिया। उनका वध भगवान राम अवतार लेकर किया गया।
तीसरे जन्म में जय-विजय ने शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्म लिया। उनका वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया।
इस प्रकार, भगवान राम अवतार लेने का मुख्य कारण जय-विजय के सनकादि मुनियों के शाप और उनके द्वारा दिए गए वरदानों से जुड़ा है। इसके माध्यम से भगवान विष्णु ने जय-विजय का उद्धार किया और उन्हें अंत में मोक्ष प्राप्त करवाया।
कौन थीं भगवान शिव की वो 5 पुत्रियां? जिनसे माता पार्वती भी थीं अनजान!
अब जानते हैं उन दो वरदानों के बारे में….
रामचरित मानस के बाल कांड में यह कहानी है कि नारद मुनि ने हिमालय में तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से इंद्र को भी चिन्हित हो गया कि नारद मुनि का तप इंद्र के पद को छू सकता है। इसलिए इंद्र ने कामदेव को भेजकर उनकी तपस्या को भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने नारद मुनि की तपस्या को भंग करने के लिए उन पर अपने काम बाण चलाए। इससे नारद मुनि की तपस्या टूट गई और उन्होंने कामदेव को देख लिया। कामदेव को लगा कि अब वे भगवान शिव की तरह भस्म कर देंगे, इसलिए उन्होंने नारद से माफी मांगी।
नारद मुनि ने कामदेव के व्यवहार से अचंभित होकर उनसे अनुमति ली और कामदेव ने बताया कि वह इसे इंद्र के आदेश पर कर रहा था। यह सब सुनकर नारद का अहंकार उबलने लगा। वे भगवान शिव के पास गए और इस सब विषय को बताया। भगवान शिव ने उनको समझाया कि अहंकार का नाश करना जरूरी है।
इसके बाद भगवान विष्णु ने अपनी माया से एक नगर बसाया जिसका राजा था शीलनिधि और उसकी बेटी विश्वमोहिनी थी। उनके स्वयंवर में भगवान विष्णु ने अपना रूप धारण किया और विश्वमोहिनी ने उन्हें अपना पति मान लिया। नारद ने इसे देखकर भगवान विष्णु को शाप दे दिया कि उन्होंने उन्हें स्त्री वियोग में डाल दिया। इस शाप के बाद भगवान विष्णु ने राम अवतार लेने का निश्चय किया और नारद के द्वारा बोले गए शब्दों के कारण भगवान राम का अवतार हुआ।
कामाख्या देवी मंदिर के इन रहस्यों को जान फटी की फटी रह जाएँगी आपकी आँख, भूलकर भी न करे इग्नोर!
श्रीमद् भागवत महापुराण में सतयुग में यह कहानी है कि मनु और शतरूपा, जो ब्रह्मा के अंश से उत्पन्न हुए थे, बहुत दीर्घकाल तक भगवान विष्णु की तपस्या की। इसके बाद भगवान विष्णु ने उनसे पूछा कि वे क्या वरदान चाहते हैं। मनु और शतरूपा ने उन्हें भगवान विष्णु के समान संतान की मांग की।
भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके रूप में ही उनके पुत्र के रूप में जन्मेंगे। त्रेतायुग में, मनु के रूप में राजा दशरथ और शतरूपा के रूप में कौशल्या के रूप में वे जन्म लेंगे। और उनके पुत्र भगवान राम के रूप में प्रकट होंगे।
इस प्रकार, मनु और शतरूपा की तपस्या से ही भगवान राम का अवतार संसार में हुआ, जो उनके प्रिय भक्त होने के साथ-साथ धर्म के प्रतीक भी रहे।
रावण का तपस्या और वरदान प्राप्ति का वर्णन वाल्मीकि रामायण में विस्तार से किया गया है। रावण ने ब्रह्मा को ध्यान और तपस्या से प्राप्त किया वरदान उसके अमरत्व का विशेष अधिकार था, लेकिन उसने अमरत्व की अर्थात अनन्त जीवन की मांग नहीं की थी। उसने ब्रह्मा से अद्वितीय रक्षा का वरदान मांगा था, जिसमें सभी जीवों से प्रतिरक्षा के लिए नर, वानर, यक्ष, गंधर्व, नाग और देवताओं से रक्षा है। रावण ने मानवों और वानरों को छोड़ दिया क्योंकि उन्हें समझा था कि इन दोनों ही श्रेष्ठ शक्तियों के सामने उसका अमरत्व सुरक्षित रहेगा।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.