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सतयुग से नहीं बदली भारत की ये जगह, खुद ब्रह्मा जी ने बनाई, मिले भगवान राम से पांडव तक के पावन सबूत

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 30, 2024, 11:30 am IST
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सतयुग से नहीं बदली भारत की ये जगह, खुद ब्रह्मा जी ने बनाई, मिले भगवान राम से पांडव तक के पावन सबूत

Chakratirtha Naimisharanya: एक ऐसा लोक जिसके बिना अधूरी मानी जाती है चार धाम की यात्रा

India News (इंडिया न्यूज), Chakratirtha Naimisharanya: लखनऊ के पास सीतापुर शहर में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है। जहां महापुराण लिखा गया था और सत्यनारायण की कथा पहली बार कही गई थी। इस धाम का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। इसलिए चार धाम की यात्रा भी नैमिषारण्य के दर्शन किए बिना अधूरी मानी जाती है। इस स्थान को नैमिषारण्य, नैमिष या नीमशहर के नाम से भी जाना जाता है। आइए आपको इस पवित्र स्थान के इतिहास के बारे में बताते हैं

जानिए क्यों बना नैमिषारण्य ऋषियों की तपोभूमि

कहा जाता है कि नैमिषारण्य ही वह स्थान है जहां ऋषि दधीचि ने लोगों के कल्याण के लिए अपने शत्रु देवराज इंद्र को अपनी अस्थियां दान की थीं। यह भी कहा जाता है कि नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन के कारण पड़ा है। इसके पीछे की कहानी यह है कि महाभारत युद्ध के बाद ऋषिगण कलियुग के आरंभ को लेकर बहुत चिंतित थे। इसलिए उन्होंने ब्रह्मा से पूछा कि वे उन्हें ऐसी जगह के बारे में बताएं जो कलियुग के प्रभाव से अछूती रहे। इसके बाद ब्रह्मा ने एक पवित्र चक्र निकाला और उसे धरती की ओर घुमाया और कहा कि यह चक्र जहां भी रुकेगा, वह स्थान कलियुग के प्रभाव से मुक्त हो जाएगा। तब ब्रह्मा का चक्र नैमिष वन में रुक गया। इसीलिए ऋषि-मुनियों ने इस स्थान को अपनी तपोभूमि बना लिया।

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भगवान राम ने किया था अश्वमेध यज्ञ

यह भी कहा जाता है कि ब्रह्मा ने स्वयं कहा था कि यह स्थान ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ है। जिसके बाद प्राचीन काल में इस स्थान पर करीब 88 हजार ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। इसके अलावा रामायण में भी उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम ने इसी स्थान पर अश्वमेध यज्ञ पूर्ण किया था और महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश की मुलाकात भी इसी स्थान पर हुई थी। इसके अलावा महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी इस स्थान पर आए थे।

नैमिषारण्य के मुख्य आकर्षण

यहां के मुख्य आकर्षणों की बात करें तो इनमें चक्रतीर्थी, भेटेश्वरनाथ मंदिर, व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी मंदिर, पंचप्रयाग, शेष मंदिर, क्षेमकाया मंदिर, हनुमान गढ़ी, शिवाला-भैरव जी मंदिर, पंच पांडव मंदिर शामिल हैं। , पंचपुराण मंदिर, मां आनंदमयी आश्रम, नारदानंद सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, अहोबिला मठ और परमहंस गौड़ीय मठ आदि।

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