संबंधित खबरें
क्यों दुर्योधन की जांघ तोड़कर ही भीम ने उतारा था उसे मौत के घाट, पैर में छिपा था ऐसा कौन-सा जीवन का राज?
जो लोग छिपा लेते हैं दूसरों से ये 7 राज…माँ लक्ष्मी का रहता है उस घर में सदैव वास, खुशियों से भरी रहती है झोली
इन 4 राशियों की लड़कियों का प्यार पाना होता है जंग जीतने जैसा, स्वर्ग सा बना देती हैं जीवन
देवो के देव महादेव के माता-पिता है कौन? शिव परिवार में क्यों नहीं दिया जाता पूजा स्थान
नए साल पर गलती से भी न करें ये काम, अगर कर दिया ऐसा तो मां लक्ष्मी देंगी ऐसी सजा जो सोच भी नहीं पाएंगे आप
दान में जो दे दिए इतने मुट्ठी चावल तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो रोक दे आपके अच्छे दिन, जानें सही तरीका और नियम?
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
स्वामी क्रियानंद
हर मानसिक स्थिति में सफलता की एक ही कुंजी है, और वो है एकाग्रता। परीक्षा कक्ष में बैठे स्टूडेंट के दिमाग में घूम रहे किसी गाने के विचार उसका ध्यान भंग कर सकते हैं।
बेहद जरूरी समझौता तैयार कर रहे व्यापारी को पत्नी के साथ हुई बहस का ख्याल परेशान कर सकता है। न्यायधीश, इस बात से विचलित हो सकता है कि सामने खड़ा किशोर, उसके बेटे जैसा दिखता है। एकाग्रता की कमी का प्रत्यक्ष प्रभाव कार्यक्षमता व नतीजे पर पड़ता है। आमतौर पर लोगों को एकाग्र मस्तिष्क की सफलता के पीछे का कारण नहीं मालूम होता। एकाग्र मस्तिष्क, परेशानियों को ज्यादा तेजी से सुलझा लेता है। बल्कि, यह कहा जाए कि एकाग्र ऊर्जा के कारण परेशानियां खुद-ब-खुद गायब हो जाती हैं और कई बार उन्हें सुलझाने की आवश्यकता ही नहीं होती।
एकाग्र मन अक्सर कम संकेंद्रित मस्तिष्क की तुलना में अवसरों को ज्यादा आकर्षित करता है। एकाग्र रहने वाले व्यक्ति को प्रेरणा भी मिलती है। एकाग्रता, हमारी शक्तियों को जागृत करती है और मुश्किलों को हटाकर हमारे लिए मार्ग तैयार करती है। एकाग्रता ही सफलता की एकमात्र कुंजी है। योग में यह बात सही साबित होती है। ध्यान के दौरान मस्तिष्क एकदम शांत और स्थिर होता है। योग की शिक्षा में आपको एकाग्रता विकसित करने का पाठ पढ़ाया जाता है। अब आप ये जानना चाहेंगे कि एकाग्रता क्या है? एकाग्रता का मतलब है, अपनी मानसिक व भावनात्मक ऊर्जा को दूसरे कामों में न लगाना। इसके अलावा, इसमें किसी एक विषय पर जागरुकता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को विकसित किया जाता है।
एकाग्रता में ऊर्जा प्रवाह का प्रदर्शन देखा जा सकता है। जब एकाग्रता अधिक स्थायी हो जाती है तो यह अभ्यास का हिस्सा बन जाती है। योगी को उस वस्तु की पहचान हो जाती है, जो एकाग्रता के लिए जरूरी होती है। अभ्यास के साथ-साथ एकाग्रता को कोई बाहरी व्यवधान प्रभावित नहीं कर पाता। एकाग्रता के लिए यथार्थ को पहचानिए। हम अनंत प्रकाश, प्रेम व ईश्वरीय देन हैं। इन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखते हुए हमें एकाग्रता का स्तर विकसित करना चाहिए। एकाग्रता को प्रभावी बनाने के लिए हमें मस्तिष्क को नियत गति व स्थिरता की ओर केंद्रित करना होगा। इस अवस्था में हमारी इंद्रियां स्वत: स्थिर हो जाएंगी।
जब मस्तिष्क केंद्रित हो जाए, इसके द्वारा किया कोई भी कार्य सिद्ध होगा। यह बिल्कुल पियानो बजाने जैसा है, जिसे बजाने वाले को यह ध्यान नहीं रहता कि उसकी उंगलियां कैसे चल रही हैं। जब आपका मस्तिष्क केंद्रित व स्थिर हो जाए, सभी तरह की तकनीकों का त्याग कर दें और खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर दें।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.