Hindi News / Dharam / Crows Do Not Forget Their Revenge They Take The Life Of Their Enemy For So Many Years Bird Experts Also Made This Claim

इंसानों से बदला लेता है ये पक्षी, हिंदू धर्म में माना जाता है पितरों का प्रतीक, हरकतें देख फटी रह गईं वैज्ञानिकों की आंखें

Crow Remember Revenge For 17 Years: शोध में यह बात सामने आई कि कौवे चेहरे पहचानने में माहिर होते हैं।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Crow Remember Revenge For 17 Years: आपने फिल्मों में ऐसे जानवरों के बारे में देखा होगा जो इंसानों से बदला लेते हैं, लेकिन वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि कौवे वाकई में बदला लेने की क्षमता रखते हैं। कौवे, जिन्हें बुद्धिमान पक्षियों में गिना जाता है, अपने दुश्मनों को न केवल पहचानते हैं बल्कि उनकी हरकतों को भी लंबे समय तक याद रखते हैं।

कौवों का व्यवहार: 17 सालों तक याद

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, कौवे इंसानों से दुश्मनी या बुरी यादें लगभग 17 सालों तक संजोए रखते हैं। यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के एनवायरोमेंटल साइंटिस्ट और प्रोफेसर जॉन मारजलुफ के शोध पर आधारित है। उन्होंने 2006 में एक प्रयोग किया, जिसमें उन्होंने कौवों के बदला लेने की प्रवृत्ति का अध्ययन किया।

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Crow Remember Revenge For 17 Years: शोध में यह बात सामने आई कि कौवे चेहरे पहचानने में माहिर होते हैं।

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जॉन मारजलुफ का अनूठा प्रयोग

प्रोफेसर जॉन ने एक दैत्य का मास्क पहनकर 7 कौवों को जाल में पकड़ा और उन पर पहचान के लिए बैंड बांध दिए। हालांकि, उन्होंने कौवों को बिना चोट पहुंचाए छोड़ दिया, लेकिन यह घटना कौवों के लिए यादगार बन गई। जब भी जॉन मास्क पहनकर बाहर निकलते, कौवे उन पर हमला करते।

कैसे याद रखते हैं कौवे?

कौवों के दिमाग का वह हिस्सा, जो इमोशन्स को प्रोसेस करता है, स्तनधारियों के एमिगडाला जैसा होता है। इसका मतलब है कि वे भावनाओं से जुड़ी घटनाओं को गहराई से याद करते हैं। प्रोफेसर ने पाया कि न केवल वे 7 कौवे, बल्कि झुंड के बाकी कौवे भी हमले में शामिल हो गए। यह प्रवृत्ति कौवों के आपसी संवाद और सामूहिक याददाश्त को दर्शाती है।

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कौवों की सामूहिक स्मृति

शोध में यह बात सामने आई कि कौवे चेहरे पहचानने में माहिर होते हैं। उन्होंने प्रोफेसर जॉन को सालों तक मास्क में देखकर हमला किया। यह सिलसिला करीब 7 सालों तक चला। हालांकि, समय के साथ कौवों का गुस्सा कम हो गया। 17 सालों बाद, सितंबर 2023 में पहली बार जॉन मास्क पहनकर निकले, तो कौवों ने न आवाज उठाई और न ही हमला किया।

कौवों से क्या सीख सकते हैं?

कौवों की बदला लेने की क्षमता हमें यह सिखाती है कि जानवर भी संवेदनशील और बुद्धिमान होते हैं। उनके साथ बुरा व्यवहार न केवल उन्हें याद रहता है, बल्कि उनके झुंड में भी प्रसारित होता है। यह शोध न केवल पक्षियों की समझदारी का प्रमाण है, बल्कि यह भी बताता है कि इंसान को प्रकृति और जानवरों के साथ तालमेल बनाकर रहना चाहिए।

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कौवे केवल बुद्धिमान नहीं, बल्कि गहरी भावनाओं और सामूहिक चेतना वाले पक्षी हैं। उनके व्यवहार से इंसानों को सीखना चाहिए कि प्रकृति के हर जीव का सम्मान करें। वैज्ञानिक शोध ने साबित कर दिया है कि कौवे बदला ले सकते हैं, और यह उनकी चतुराई और याददाश्त की अद्भुत क्षमता का प्रमाण है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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