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India News(इंडिया न्यूज), Mahabharat Arjun: महाभारत एक ऐसा काल या यूँ कहे एक ऐसा युग जिसके किस्से-कहानियां आजतक लोगो के बीच में प्रसिद्ध हैं। आज भी हम उस महा संग्राम की कहानिया सुनते हुए आ रहे हैं। महाभारत में यूँ तो कई किरदारों और महान योद्धाओं ने हिस्सा लिया था लेकिन जिक्र मात्र ही कुछ प्रसिद्ध योद्धाओ का हुआ था। और उन्ही में से एक है महाराज दशरथ के नाती। जी हाँ! बिलकुल सही सुना आपने महाराज दशरथ के नाती ने भी इस महाभारत युद्ध में भाग लिया था और इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने महान योद्धा अर्जुन के पुत्र का वध भी किया था।
पौराणिक कथाओ के अनुसार महाराज दशरथ के सिर्फ चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का ही वर्णन किया जाता हैं लकिन आपके बता दे कि महाराज की एक पुत्री भी थी जिनका नाम शांता था। साथ ही कुछ ऐसे भी ग्रन्थ हैं जिनमे उनकी पुत्री शांता का पूर्ण रूप से जिक्र भी किया गया हैं।
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जी हाँ! दशरथ की एक लौटी पुत्री शांता का विवाह ऋषि शृंग के साथ हुआ था जिसके बाद इन्हे एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम अलम्बुष रखा गया, जिसने बड़े होकर एक महान योद्धा की तरह खुद को तैयार किया। साथ ही अलम्बुष पांडवो का रिश्तेदार भी था।
अब आते है रिश्तेदार होने के बावजूद भी क्यों अलम्बुष ने पांडवो के ही पुत्र का वध किया? तो इसके पीछे थी ये वजह क्योंकि अलम्बुष इस बात से काफी क्रोधित और नाराज़ था कि पांडवो ने एक युद्ध को जीतने के लिए छल का सहारा लिया और ऐसे में जब दुर्योधन ने अलम्बुष से युद्ध में सहायता मांगी तो उन्होंने तुरंत हाँ कर दी।
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जिसके बाद अर्जुन और अलम्बुष में भूषण युद्ध हुआ और परिणाम स्वरुप क्रोधित अलम्बुष ने अर्जुन पुत्र इरावन का वध कर उसे परास्त किया। जिसके बाद पांडवो का क्रोध अत्यंत भर उठा और घटोत्कच ने अलम्बुष को युद्ध के लिए ललकारा जिस दौरान अलम्बुष की मृत्यु हो गई।
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