संबंधित खबरें
इन 3 तारीखों को जन्में लोग 30 से 45 की उम्र में खूब कमाते हैं पैसा, जानें इनकी कुंडली में ऐसा क्या होता है?
मरने के बाद शरीर से कैसे निकलती है आत्मा? मौत से जुड़े ये डरावने रहस्य नहीं जानते मनुष्य
अगर कंगाली से रहना चाहते हैं कोसों दूर, तो वॉशरूम में अनजाने से भी न रखें ये चीजें, वरना कभी नही भर पाएगा कुबेर खजाना!
कलियुग या घोर कलियुग? कैसा होगा महिलाओं और पुरुषों का चरित्र, श्रीकृष्ण ने द्वापर में कर दी थी ये भविष्यवाणी!
अगर बिना कर्ज चुकाए आ गई मृत्यु तो नए जन्म में पड़ सकता है तड़पना? ऐसा होगा अगला जन्म की झेलना होगा मुश्किल!
तुला समेत इन राशियों के खुलने वाले हैं भाग्य, पुष्य नक्षत्र में बनने जा रहा खास शुक्ल योग, जानें आज का राशिफल
India News(इंडिया न्यूज), Parsi Funeral Rituals: पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार अनुष्ठान को ‘डखमा’ या ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ कहा जाता है, जो अन्य संस्कारों से काफी अलग और अद्वितीय होता है। इसमें मृतकों के शवों को गिद्धों के लिए छोड़ दिया जाता है। यह परंपरा पारसी धर्म की मान्यताओं और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं इस रिवाज और इससे जुड़ी विवादों के बारे में:
पारसी धर्म में माना जाता है कि मृत शरीर अशुद्ध होता है और उसे धरती, अग्नि, या जल को दूषित नहीं करना चाहिए।
इसलिए शव को जलाना, दफनाना या पानी में प्रवाहित करना पारसी मान्यताओं के खिलाफ है।
आने वाले 9 महीनों में इन 3 राशियों पर होगी धन की बरसात, जानें Shani Dev किसे कर देंगे माला-माल?
यह अनुष्ठान पारसी धर्म के पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों पर आधारित है।
शवों को गिद्धों के लिए छोड़ना एक प्राकृतिक पुनर्चक्रण प्रक्रिया है जो पृथ्वी को दूषित नहीं करती।
गिद्धों को पवित्र माना जाता है क्योंकि वे सूर्य के करीब उड़ते हैं और सूर्य को पारसी धर्म में एक उच्च स्थान प्राप्त है।
गिद्धों द्वारा शवों का सेवन करना आत्मा की मुक्ति और शुद्धिकरण की प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है।
पिछले कुछ दशकों में गिद्धों की संख्या में भारी कमी आई है, जिससे शवों के नष्ट होने में समस्या हो रही है।
गिद्धों की कमी के कारण पारसी समुदाय को अपने रिवाज को निभाने में कठिनाई हो रही है।
कुछ लोग इस रिवाज को क्रूर और असंवेदनशील मानते हैं।
शहरीकरण और आधुनिकता के प्रभाव से पारसी समुदाय के युवाओं में इस रिवाज को लेकर असहमति बढ़ रही है।
कभी किसी से नहीं डरते इस मूलांक पर पैदा हुए लोग, जाने कौन हैं इस लिस्ट में शामिल?
पारसी समुदाय के कुछ वर्ग वैकल्पिक उपायों जैसे शवों को सौर ऊर्जा से सुखाने (सोलर पैनल से) की प्रक्रिया को अपना रहे हैं।
कुछ लोग शवों को जलाने या दफनाने जैसे पारंपरिक तरीकों पर भी विचार कर रहे हैं।
पारसी समुदाय का डखमा रिवाज उनके धार्मिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रतिबिंब है। हालांकि गिद्धों की कमी और आधुनिक समाज की संवेदनाओं के कारण इस रिवाज को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहे हैं, फिर भी यह रिवाज पारसी संस्कृति और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। समुदाय के भीतर और बाहर दोनों जगह इस परंपरा को समझने और सम्मान देने की आवश्यकता है।
पूजा में निकले नारियल खराब तो चमक सकती है किस्मत, ये है शुभ अशुभ प्रभाव
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.