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India News (इंडिया न्यूज), Rakshas: आज आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये क्या बता रहे हैं या क्या ही सीखा रहे हैं लेकिन ये सोच हैं। देवताओं कि तरह एक राक्षस भी ऐसा हैं जिसकी पूजा करने मात्र से आपके घर को एक पहरेदार मिल जायेगा जिसपर आप पूर्णरूप से विश्वास कर सकेंगे।यह वाक्य वास्तव में एक गहरी सामाजिक और सांस्कृतिक व्यंग्य को दर्शाता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में राक्षसों को अक्सर दुष्ट और अधर्मी माना गया है, लेकिन कुछ संदर्भों में, उन्हें भी श्रद्धा और सम्मान दिया जाता है।
दिवाली का त्योहार: राक्षस रावण का पूजा पर्व दशहरा और दिवाली के समय होता है। लोग रावण के पुतले जलाते हैं, लेकिन इसे एक तरह का उत्सव माना जाता है, जहां अच्छाई की बुराई पर जीत का जश्न मनाया जाता है।
भूत प्रेत: कई संस्कृतियों में, भूत-प्रेतों और राक्षसों की पूजा भी की जाती है। लोग इन्हें अपने घरों में पहरा देने वाले मानते हैं और इन्हें संतुलन बनाए रखने केलिए आह्वान करते हैं।
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संरक्षक की भूमिका: कुछ मान्यताओं में, राक्षसों को घर की रक्षा करने वाले मानते हैं। उन्हें भय और दुश्मनों से बचाने वाला समझा जाता है।
संस्कृति में स्थान: राक्षसों की कहानियाँ भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। वे जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं—अच्छाई और बुराई, संतुलन और संघर्ष।
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इस प्रकार, राक्षस केवल दुष्टता के प्रतीक नहीं, बल्कि संस्कृति के गहरे अर्थों को व्यक्त करने वाले पात्र भी हैं। देवताओं की तरह उनकी पूजा और सम्मान इस बात को दर्शाता है कि हमारी धारणाएँ हमेशा एकरूप नहीं होतीं; वे जटिल और बहुआयामी होती हैं।
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