संबंधित खबरें
इन 3 राशियों की चमकने वाली है किस्मत, मां लक्ष्मी की ऐसी बरसेगी कृपा कि यकिन करना भी हो जाएगा मुश्किल! जाने आज का राशिफल
खुद को दुनिया के सामने मार देती हैं नागा साधु, 12 सालों तक करती हैं ऐसा काम, कंपा देती हैं ब्रह्माण्ड!
इन देवियों की अवतार थीं लक्ष्मण और भरत की पत्नियां, रामायण काल में इन वजहों से लिया था जन्म!
अर्जुन से लेकर सूर्य तक सबको हांसिल हुआ था जो गीता उपदेश, इन ऋषियों ने आम इंसान को ऐसे दीया ये ज्ञान!
आचनक निकल आते हैं लाखों नागा साधू फिर हो जाते हैं अदृश्य, कुंभ का रहस्य जान हो जाएंगे हैरान
Today Horoscope: इस 1 राशि की किस्मत में लिखा है आज बड़ा बदलाव, तो इन 3 जातकों को मिलेगा उनका बिछड़ा प्यार, जानें आज का राशिफल
India News (इंडिया न्यूज़), Dev Uthani Ekadashi 2023: जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय है। बता दें कि तुलसी माता की पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा से उनके भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही अपने भक्तों पर भगवान विष्णु सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन तुलसी माता की पूजा नहीं करनी चाहिए। बाकी दिनों में तुलसी माता की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
अगर आप भी जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) तिथि पर पूजा के समय तुलसी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी ।
शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ।।
दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम ।
घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम ।।
जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम ।
स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा ।।
पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी ।
कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता ।।
जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता ।
नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी ।।
संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे ।
नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा ।।
इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम् ।
मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च ।।
मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत् ।
वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम् ।।
द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये ।।
अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम् ।
पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम् ।।
राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये I
भक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि ।।
जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः ।
उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः ।।
तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम् ।
सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम् ।।
मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम् ।
या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत् ।।
सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम् ।
वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः ।।
सापिसंवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम् ।
अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक ।।
पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः ।
कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम ।।
श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत् ।
किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः ।।
यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम् ।
मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया ।।
जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः ।
मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः ।।
Read Also:
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.