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Yam Deepam 2023: धनतेरस पर क्यों जलाते हैं यम के नाम का दीपक, जानें इसकी सही समय, विधि और लाभ

Rajesh kumar • LAST UPDATED : November 10, 2023, 12:57 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Dhanteras 2023: हर साल दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। जिससे कुछ अवसर पर लोग गृहस्थ संबंधी अपने सौहार्दय पूर्ण वस्तु खरीदकर घर लाते हैं। इस बार 10 नवंबर 2023 को धनतेरस है। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और धनंवंतरी की पूजा भी की जाती है। इसके साथ ही शाम को यमराज के नाम पर लोग दीप जलाते हैं, इसे यम दीपम भी कहा जाता है। लेकिन आप जानते हैं कि यम का दीपक क्यों जलाया जाता है और इसके जलाने के पीछे क्या कारण है। आइए जानते हैं धनतेरस पर क्यों जलाया जाता है यम दीपम और क्या है इसकी सही विधि, दिशा।

धनतेरस 2023 यम दीपम मुहूर्त (Dhanteras 2023 Yam Deepam Muhurat)

धनतेरस के दिन सूर्यास्त के बाद शाम को यमराज के नाम पर निमित्त दीपक जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दीपदान से यमदेव प्रसन्न होते है और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते है। जानिए इसके शुभ मुहूर्त…

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि शुरू- 10 नवंबर 2023, दोपहर 12.35 कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त – 11 नवंबर 2023, दोपहर 01.57

  • यम दीपम समय – शाम 05.30 – शाम 06.49
  • अवधि – 1 घंटा 19 मिनट

धनतेरस पर यम दीपम की विधि (Dhanteras Yam Deepak Vidhi)

धनतेरस की शाम घर के बाहर 13 दीपक जलाए और इन्हें मुख्य द्वार पर रखें। वहीं एक पुराना मिट्टी के दीपक में चार बाती लगाकर इसे सरसों के तेल से प्रज्वलित करें। इसके बाद इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके मंत्र उच्चारण करते हुए दीपक को जलाएं और इसे रखें।

यम दीपम मंत्र (Yam Deepam Mantra)

यमराज का दीप जलाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें – मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’ कहते हैं इससे अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और नर्क की यात्नाएं नहीं सहेनी पड़ती।

धनतेरस पर क्यों लगाते हैं यमराज के नाम दीपक (Yam Deepam Katha)

बता दें कि पौराणिक कथा के अनुसार किसी राज्य में हेम नामक राजा था, ईश्वर की कृपा से उन्हें एक पुत्र कि प्राप्ति हुआ जब बेटे की कुंडली देखा गया तो उसमें लिखा था कि शादी के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह पर भेज दिया, जहां राजकुमार पर किसी लड़की की परछाई भी न पड़े लेकिन वहां उन्होंने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया। रीति के मुताबिक विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आ पहुंचे।

आगे यह हुआ कि राजकुमार की पत्नी रोने करने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय जानने की कोशिश की फिर उन्हें एक उपाय दिखा। जो कि राजकुमारी ने यमराज के दूतों से पूछीं। वहीं, दूतों ने यमराज को सारी बातें बताई। यमराज ने बताया कि मृत्यु अटल है लेकिन धनतेरस के दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जो व्यक्ति घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके मंत्र उच्चारण करते हुए दीप प्रज्वलित करेगा वह अकाल मृत्यु से बच सकता है। इसी कारण से हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा चालू है।

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