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India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Duryodhan Bheem Yuddh: दुर्योधन और भीम के बीच की शत्रुता का इतिहास महाभारत की कथा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दुर्योधन, जो कि कौरवों का प्रमुख था, और भीम, जो कि पांडवों में सबसे बलशाली था, के बीच की दुश्मनी की शुरुआत बचपन से ही हो गई थी। यहाँ पर दुर्योधन के भीम को मारने की पहली कोशिश के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:
दुर्योधन की उम्र 11 साल थी, और उसने अपने मामा शकुनि की सलाह और सहायता से भीम के खिलाफ एक चाल चलने का प्रयास किया था। दुर्योधन की दुष्टता और पांडवों के प्रति उसकी शत्रुता का यह पहला बड़ा उदाहरण था। शकुनि ने उसे पांडवों के खिलाफ उकसाने और उनकी मृत्यु का प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।
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दुर्योधन ने पांडवों को नदी किनारे खेलने और भोजन के लिए आमंत्रित किया। उसने यह दिखाने का प्रयास किया कि उसकी भावनाएं बदल गई हैं और वह पांडवों के साथ घुलमिल गया है। इस अवसर पर, दुर्योधन ने भीम को अपने प्रयास के तहत मारने की योजना बनाई। इसके लिए उसने भोजन में जहर मिलाया और भीम को नदी में धकेलने का प्रयास किया।
दुर्योधन ने भीम के भोजन में जहर मिला दिया। भोजन के सेवन के बाद, भीम को उल्टी और बेचैनी का अनुभव हुआ।
इसके बाद, दुर्योधन ने भीम को नदी में धकेलने की कोशिश की, ताकि वह जहर के प्रभाव से बच न सके और डूब जाए।
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हालांकि दुर्योधन की योजना असफल रही। भीम जहर के प्रभाव से उबरने में सफल रहा और उसने नदी से बाहर निकलकर पांडवों के पास लौटने में सफलता पाई।
दुर्योधन की चाल: यह घटना दुर्योधन की कूटनीति और उसकी पांडवों के प्रति नफरत को दर्शाती है। उसने अपने बचपन की शत्रुता को साबित किया और अपने भाई-बहनों और मामा शकुनि की सहायता से अपने प्रतिशोध की दिशा में कदम उठाया।
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भीम की बहादुरी: इस घटना ने भीम की ताकत और साहस को भी उजागर किया। भीम की शारीरिक शक्ति और मानसिक दृढ़ता ने उसे इस मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकाला।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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