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क्या वाकई महिला नागा साधू बनने के लिए त्यागने पड़ते है कपड़े….इस रूप को धारण करने से पहले देनी पड़ती है बेहद कठिन परीक्षा!

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 27, 2024, 3:30 pm IST
क्या वाकई महिला नागा साधू बनने के लिए त्यागने पड़ते है कपड़े….इस रूप को धारण करने से पहले देनी पड़ती है बेहद कठिन परीक्षा!

Female Naga Sadhu: महिला नागा साधु बनने का सफर बहुत कठिन होता है, लेकिन इसके बाद साधिका को समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त होता है। उनके जीवन का उद्देश्य अब सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति और भगवान शिव की भक्ति में लीन रहना होता है।

India News (इंडिया न्यूज़), Female Naga Sadhu: महिला नागा साधुओं का जीवन अत्यंत रहस्यमयी और कठिन होता है। वे दुनिया से दूर एकांत में रहकर कठोर तपस्या करती हैं। कुंभ मेला जैसे धार्मिक आयोजनों के समय ही वे सार्वजनिक रूप से दिखाई देती हैं। इसके बाद, वे फिर से अज्ञात स्थानों पर साधना के लिए लौट जाती हैं। उनका जीवन कठिन तपस्या, साधना और भगवान शिव की भक्ति में समर्पित होता है।

महिला नागा साधु नग्न नहीं रहतीं, बल्कि वे भगवा वस्त्र पहनती हैं, जिसमें किसी भी प्रकार की सिलाई नहीं होती। यही उनका एकमात्र वस्त्र होता है, जिसे पहनकर वे तपस्या करती हैं।

कठोर तपस्या और साधना

महिला नागा साधु बनने के लिए तपस्या अत्यंत कठिन होती है। साधिका को एकांत में गुफाओं या जंगलों में जाकर साधना करनी होती है। तपस्या के दौरान वे सालों-साल ध्यान और भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं। यह कठिन साधना उन्हें आध्यात्मिक रूप से उच्च स्तर पर पहुंचाती है।

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नारी शक्ति और महिला नागा साधु

महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि यह साधना सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत कठिन होती है। नागा साधुओं का जीवन भगवान शिव की भक्ति में समर्पित होता है और उनका पूरा जीवन तप, त्याग और साधना का प्रतीक होता है। यह प्रक्रिया नारी शक्ति और उनके धैर्य, संकल्प और आध्यात्मिक समर्पण का जीवंत उदाहरण है।

महिला नागा साधु बनने का सफर बहुत कठिन होता है, लेकिन इसके बाद साधिका को समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त होता है। उनके जीवन का उद्देश्य अब सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति और भगवान शिव की भक्ति में लीन रहना होता है।

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निष्कर्ष:

महिला नागा साधु का जीवन अन्य साधुओं की तुलना में अधिक कठोर और तपस्वी होता है। यह साधना और तपस्या की ऐसी यात्रा है जिसमें साधिका अपने जीवन के सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाती है। उनका जीवन नारी शक्ति और साधना के उच्चतम स्तर का प्रतीक है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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