भृतहरि: पत्नी के धोखे से योगी बने राजा
राजा भृतहरि उज्जैन के एक प्रख्यात राजा थे, जो महाकाल की नगरी पर शासन करते थे। उनकी कथा में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब उनकी तीसरी पत्नी पिंगला ने उन्हें धोखा दिया। राजा ने अपनी पत्नी पिंगला को गोरखनाथ द्वारा दिया गया एक अमरता का फल सौंपा, लेकिन पिंगला ने इसे अपने प्रेमी कोतवाल को दे दिया। कोतवाल ने उस फल को एक वैश्या को दे दिया, और अंततः वह फल राजा भृतहरि के पास फिर से लौट आया।
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जब भृतहरि को यह सच्चाई पता चली कि उनकी पत्नी पिंगला ने उन्हें धोखा दिया है, तो उनके मन में वैराग्य जागृत हुआ। उन्होंने राज-पाठ त्याग दिया और अपना संपूर्ण जीवन ध्यान और तपस्या को समर्पित कर दिया। वे उज्जैन की गुफा में चले गए और यहां उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की।
गुफा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
उज्जैन स्थित भृतहरि गुफा वह पवित्र स्थान है, जहां राजा भृतहरि ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा तपस्या में बिताया। यह गुफा न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि कई ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटनाओं का साक्षी भी रही है। भृतहरि के कठोर तप से देवराज इंद्र भी भयभीत हो गए थे। उन्होंने भृतहरि की तपस्या भंग करने के लिए एक विशाल पत्थर उन पर गिरा दिया, लेकिन भृतहरि ने उसे एक हाथ से रोक लिया। आज भी इस गुफा में वह पत्थर और भृतहरि के पंजे के निशान देखे जा सकते हैं, जो उनकी अडिग तपस्या की कहानी कहते हैं।
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गुफा का रहस्यमय रास्ता
भृतहरि गुफा में कई ऐसे रहस्यमय तत्व हैं, जो इसे विशेष बनाते हैं। गुफा के भीतर एक छोटा मार्ग है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह चारों धाम का रास्ता है। इसके अलावा, गुफा के अंत में भृतहरि की प्रतिमा स्थापित है और उनके सामने एक धुनी जलती रहती है, जिसकी राख हमेशा गर्म रहती है। यह रहस्यमयी तत्व और भक्ति भावना का अद्भुत संगम गुफा को एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
योगी आदित्यनाथ का संबंध
योगी आदित्यनाथ का भृतहरि गुफा से एक विशेष संबंध है। वे नाथ संप्रदाय के प्रमुख हैं और इस गुफा के प्रबंधक भी माने जाते हैं। योगी जी का गोरखनाथ से गहरा नाता है, और यही कारण है कि भृतहरि, जो गोरखनाथ के शिष्य थे, उनके प्रति विशेष आदरभाव रखते हैं। भृतहरि की कथा और तपस्या न केवल नाथ संप्रदाय की परंपराओं में महत्व रखती है, बल्कि आम जनमानस के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है।
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निष्कर्ष
भृतहरि गुफा उज्जैन के धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, जो राजा भृतहरि की तपस्या और त्याग की गाथा को संजोए हुए है। यह स्थान केवल एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है जहां साधक अपने मन और आत्मा की शांति के लिए आते हैं। राजा भृतहरि की कथा आज भी हमें यह सिखाती है कि संसार के मोह-माया से मुक्त होकर आंतरिक शांति और ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
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