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Hanuman Mandir: भारत ही नहीं दुनिया भर में पवन पुत्र हनुमान के करोड़ों भक्त हैं। यहां तक की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी हनुमान जी की एक छोटी प्रतिमा अपने साथ हमेशा रखते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का खुलासा किया था। सनातन धर्म में हनुमान जी की कई रुपों में आराधना की जाती है। कई भक्त उनकी प्रतिमा, तो कई राम-राम का जाप करते हुए उनकी पूजा करते हैं। इसके अलावा कई भक्तों की मान्यता है कि पीपल के पेड़ में बजरंग बली का वास रहा है, जिसकी वजह से इस पेड़ की कई भक्त पूजा करते हैं। खैर, आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहां हनुमान जी की स्त्री यानि देवी रुप में पूजा की जाती है।
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पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचिन काल में एक तत्कालीन राजा पृथ्वी देवजू को कुष्ठ रोग हो गया। जिसे सही करने के लिए राजा ने राष्ट्र के सभी वैद्ययों के इलाज कराया, लेकिन उनका कुष्ठ रोग ठीक नहीं हुआ। जिसके बाद उन्हें किसी ज्योतिष ने हनुमान जी की पूजा-उपासना करने की सलाह दी।
तब राजा पृथ्वी हनुमान जी की कठिन भक्ति में लीन हो गए। जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी एक रात स्वप्न में आए और उनसे बोले कि अपने क्षेत्र में एक मंदिर बनवाओ, जिसके समीप एक सरोवर खुदवाओ। इस सरोवर में स्नान करने से तुम्हारा कुष्ठ रोग दूर हो जाएगा।
इसके बाद हनुमान जी के वचनों का पालन करत हुए राजा देवजू ने एक मंदिर बनवाया और उसके समीप सरोवर खुदवाया। जिस में स्नान करने के बाद राजा का कुष्ट रोग ठीक हो गया। इसके कुछ दिन बाद राजा को हनुमान जी का स्वप्न आया कि सरोवर में एक प्रतिमा अवस्थित है। इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करो। राजा के सेवकों ने सरोवर में प्रतिमा की तलाश की तो उन्हें एक हनुमान जी की नारी स्वरूप वाली प्रतिमा मिली। जिसे मंदिर में स्थापित किया गया।
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राजा को मिली इस मूर्ति में अनेक विशेषताएं दिखी। हनुमान जी की इस मुर्ति का मुख दक्षिण की ओर है। इस मूर्ति में पाताल लोक का चित्रण भी है। मूर्ति में हनुमान को रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए हनुमान जी को दर्शाया गया है। मुर्ती में दिखता है कि हनुमान के बाएं पैर के नीचे अहिरावण और दाएं पैर के नीचे कसाई दबा हुआ है। वहीं मुर्ती में हनुमान के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण की झलक है. उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में लड्डू से भरी थाली है।
यह मंदिर छत्तीसगड़ के बिलासपुर जिले से दूर धार्मिक नगरी रतनपुर के गिरजाबांध में स्थित है। यहीं पर हनुमान जी का यह विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान का नारी रूप में पूजन किया जाता है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाला हर एक भक्त हजारों मन्नतें लेकर आता है और इस स्थान से वो कभी भी निराश होकर नहीं लौटता है।
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