संबंधित खबरें
साल 2025 में सूर्य ग्रहण और शनि तो होने वाला है संगम, इन 3 राशियों की खुल सकती है किस्मत, जानें कब बनेगा ये शुभ संयोग!
पांचों पांडवो में किसको दिल दे बैठी थीं दुर्योधन की पत्नी, मन नें ही दबाए रखी थी इच्छा, फिर ऐसे हुआ विवाह!
भूलकर भी इस दिन न छुएं तुलसी का पौधा, अगर कर दिया ऐसा तो घर के एक-एक सदस्य को चुकानी पड़ेगी कीमत
Today Horoscope: आज से इस 1 राशि के नसीब में आएगा अपार धन, तो वही इन 5 राशियों को उठाना पड़ेगा भारी नुकसान, जानें आज का राशिफल
सपने में होते देखना तलाक देता है ये गहरा संकेत, जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र?
महाभारत के इस महान योद्धा का किसी ने नही किया अंतिम संस्कार, खुद चौंक गए थे यमराज, जानें क्या है छुपा हुआ रहस्य!
India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Stories: क्या आप जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में हनुमान जी धुनारधर अर्जुन के रथ पर सवार थे। तभी कुछ ऐसा हुआ कि हनुमान जी बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने इतनी दहाड़ना शुरू कर दी कि युद्ध में मौजूद सभी लोग डर गए। कौरवों की सेना भागने लगी। पांडवों की सेना डर गई। कर्ण कांपने लगा। उसे लगा कि उसकी जान बचेगी या नहीं।
महाभारत के युद्ध के दौरान हनुमान जी का क्रोधित होना एक महत्वपूर्ण घटना थी। दरअसल जब कर्ण और अर्जुन के बीच युद्ध चल रहा था, तब कर्ण ने अर्जुन पर बाणों की वर्षा शुरू कर दी। बाण भगवान अर्जुन को भी लगे, वे घायल हो गए। हनुमान जी रथ की छत पर बैठे थे, वे यह दृश्य देखकर बहुत क्रोधित हो गए।
क्रोध में हनुमान ने निश्चय किया कि वे किसी भी हालत में कर्ण को जीवित नहीं छोड़ेंगे। उनका क्रोध दहाड़ के रूप में निकला। यह दहाड़ इतनी भयानक थी कि कौरव सेना भागने लगी और पांडव सेना भी भयभीत हो गई।
दरअसल कर्ण अपने गुस्से के लिए भी जाने जाते हैं। हुआ यूं कि महाभारत के युद्ध में जब कर्ण और अर्जुन आमने-सामने आए तो कर्ण ने अर्जुन पर बाणों से हमला करना शुरू कर दिया। लेकिन जब अर्जुन को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ तो वह गुस्से से भर गया। उसने अर्जुन को नुकसान पहुंचाने के लिए एक साथ कई बाण चलाने शुरू कर दिए।
बाणों की यह वर्षा इतनी तीव्र थी कि कर्ण यह भी नहीं देख पा रहा था कि उसके बाण कहां जा रहे हैं। जबकि युद्ध का नियम है कि सामने वाले योद्धा का वार ऐसा होना चाहिए कि सारथी को कुछ न हो। जब कर्ण ने यह नहीं देखा और उसके अनेक बाणों के प्रहार से कृष्ण घायल हो गए। उन्हें खून बहने लगा, तब हनुमान अपना आपा खो बैठे।
उन्होंने कर्ण को मारने के लिए उसकी ओर दौड़ने का निश्चय किया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि हनुमान जी की दहाड़ से कौरव सेना में भगदड़ मच गई। पांडव सेना को डर लगा कि अब पता नहीं क्या अनहोनी होने वाली है।
हनुमान जी का गुस्सा देखकर भगवान कृष्ण ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर वे कर्ण को ऐसे ही देखते रहे तो उनकी दृष्टि से उनकी मृत्यु हो जाएगी। श्री कृष्ण ने उन्हें शांत करने के लिए हनुमान जी को स्पर्श किया, जिससे वे शांत हो गए लेकिन उनकी पूंछ अभी भी आसमान में हिल रही थी। उनकी आंखों में आग भरी हुई थी। कृष्ण ने हनुमान से यह भी कहा कि यह त्रेता युग नहीं है और उन्हें शांत रहना चाहिए।
अगर हनुमान कर्ण को मार देते तो युद्ध का नतीजा बदल जाता। अब आप सोच रहे होंगे कि हनुमान अर्जुन के रथ पर क्यों बैठे। दरअसल, हनुमान को यह सलाह कृष्ण ने दी थी। उन्होंने हनुमान से कहा कि वे अर्जुन के रथ की ध्वजा पर बैठें। इससे कौरवों के बाण अर्जुन के रथ को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे क्योंकि हनुमान के वजन से रथ स्थिर रहेगा।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.