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तिरुपति मंदिर में छिपी है कितने अरबों की संपत्ति, जानें किसके पास है इस तिजोरी की चाबी?

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 20, 2024, 9:47 pm IST

Tirupati Mandir Ka Khajana

India News (इंडिया न्यूज),Tirupati Mandir Ka Khajana: तिरुपति बालाजी मंदिर, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है, दुनिया के सबसे धनी और प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी श्रद्धा स्वरूप दान करते हैं। इस मंदिर की संपत्ति की चर्चा अक्सर होती रहती है, और लोगों के मन में यह जानने की जिज्ञासा होती है कि तिरुपति मंदिर में वास्तव में कितनी संपत्ति छिपी हुई है और इस संपत्ति की देखरेख कौन करता है। आइए जानते हैं तिरुपति मंदिर की संपत्ति और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से।

तिरुपति मंदिर की संपत्ति: कितनी है कुल संपत्ति?

तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्ति का अनुमान अरबों रुपये में लगाया जाता है। मंदिर के पास स्वर्ण भंडार, नकदी, और अन्य कीमती धातुओं का एक विशाल संग्रह है। वर्ष 2023 की रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। यह संपत्ति न केवल भक्तों द्वारा दिए गए दान से बढ़ी है, बल्कि मंदिर की आय भी इससे बढ़ी है।

1. सोना और आभूषणों का भंडार

तिरुपति मंदिर के खजाने में सोने की मात्रा बेहद विशाल है। मंदिर के पास लगभग 10 टन से भी अधिक सोना है। यह सोना भक्तों द्वारा दान के रूप में दिया गया है, जिसमें सोने के आभूषण, मूर्तियां, और अन्य सोने की वस्तुएं शामिल हैं।

2. नकदी भंडार

मंदिर में हर साल करोड़ों रुपये का नकद दान प्राप्त होता है। मंदिर में एक हंडी रखी जाती है, जहां श्रद्धालु नकदी दान करते हैं। इसके अलावा, डिजिटल माध्यमों से भी दान प्राप्त होता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, तिरुपति मंदिर हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपये का नकद दान प्राप्त करता है।

3. अन्य कीमती धातुएं और निवेश

तिरुपति मंदिर के पास सोने के अलावा चांदी, रत्न और अन्य कीमती धातुएं भी हैं। इसके साथ ही, मंदिर प्रशासन ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न सरकारी बॉन्ड्स, रियल एस्टेट और अन्य वित्तीय निवेशों में लगाया है, जिससे मंदिर की आय लगातार बढ़ रही है।

तिरुपति मंदिर की संपत्ति की देखरेख कौन करता है?

तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्ति और इसकी देखरेख तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के अधीन है। TTD एक सरकारी संस्था है, जो तिरुपति मंदिर और इसके सभी कार्यों का प्रबंधन करती है। यह संस्था आंध्र प्रदेश सरकार के अंतर्गत कार्य करती है, और इसके पास मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा, रखरखाव और निवेश की जिम्मेदारी होती है।

TTD के पास न केवल मंदिर की संपत्ति का प्रबंधन करने का अधिकार है, बल्कि यह संस्था मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा, धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन और मंदिर के विकास कार्यों की देखरेख भी करती है। TTD के बोर्ड में सरकारी अधिकारी, धार्मिक गुरू और स्थानीय प्रतिष्ठित लोग शामिल होते हैं, जो मंदिर के खजाने और आय के इस्तेमाल को सुनिश्चित करते हैं।

तिजोरी की चाबी किसके पास है?

तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए कई स्तरों की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मंदिर के खजाने की तिजोरी में रखी गई संपत्ति की देखरेख TTD द्वारा की जाती है। हालांकि, तिजोरी की चाबी किसी एक व्यक्ति के पास नहीं होती।

तिरुपति मंदिर के खजाने की सुरक्षा के लिए एक विशेष सुरक्षा प्रबंधन टीम नियुक्त की गई है, जिसमें स्थानीय पुलिस, मंदिर सुरक्षा कर्मी और सरकार द्वारा नियुक्त विशेष सुरक्षा गार्ड शामिल होते हैं। तिजोरी खोलने और उसमें से कुछ निकालने के लिए विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। तिजोरी खोलने के लिए कई चाबियों की जरूरत होती है, जिन्हें एक से अधिक अधिकारियों के पास रखा जाता है।

तिरुपति मंदिर में दान का महत्व

तिरुपति बालाजी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा दान देने की परंपरा बेहद प्राचीन है। लोग मानते हैं कि भगवान वेंकटेश्वर को दान देने से उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं और वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। इसीलिए, यहां आने वाले भक्त सोने, चांदी, नकदी और अन्य कीमती वस्तुएं दान करते हैं। मंदिर की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा इसी दान से आता है, जो इसे दुनिया के सबसे धनी धार्मिक स्थलों में से एक बनाता है।

तितिरुपति मंदिर की संपत्ति का उपयोगर

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा मंदिर की संपत्ति का उपयोग विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और विकास कार्यों के लिए किया जाता है। इस संपत्ति का एक हिस्सा मंदिर की सुरक्षा, रखरखाव और धार्मिक अनुष्ठानों पर खर्च किया जाता है, जबकि बाकी का उपयोग समाज सेवा के कार्यों में किया जाता है।

TTD द्वारा कई अस्पताल, स्कूल, और धर्मशालाओं का संचालन किया जाता है, जहां गरीबों और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, मंदिर की आय का एक हिस्सा विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों और आस्था से जुड़े कार्यों में भी खर्च किया जाता है।

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