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राधा रानी से कितने छोटे थे श्री कृष्ण, और कहां हुई थी उनकी पहली मुलाकात?

Facts About Shri Krishna Radha: राधा रानी से कितने छोटे थे श्री कृष्ण

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Facts About Shri Krishna Radha: राधा और कृष्ण का प्रेम भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में एक आदर्श और अमर कथा के रूप में माना जाता है। हालांकि वे विवाह के बंधन में बंध नहीं सके, लेकिन उनका दिव्य प्रेम आज भी अनगिनत भक्तों के लिए प्रेरणा और भक्ति का स्रोत है। उनकी प्रेम कहानी न केवल उनकी आत्मिक एकता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्चा प्रेम किसी बाहरी बंधन से परे होता है।

राधा-कृष्ण की पहली मुलाकात

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा और कृष्ण की पहली मुलाकात उस समय हुई जब नन्हे कृष्ण की माता यशोदा उन्हें दंडित कर रही थीं। राधा ने जब पहली बार कृष्ण को देखा, तो वे उनके अद्वितीय सौंदर्य और दिव्यता से इतनी प्रभावित हुईं कि बेहोश हो गईं। यही वह क्षण था जब राधा को महसूस हुआ कि कृष्ण से उनका संबंध पिछले जन्मों से जुड़ा हुआ है।

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Facts About Shri Krishna Radha: राधा रानी से कितने छोटे थे श्री कृष्ण

कृष्ण भी इस मुलाकात से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। राधा को देखकर वे भी व्याकुल हो गए। यह उनके दिव्य प्रेम की शुरुआत थी, जो केवल सांसारिक आकर्षण नहीं था, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक स्तर पर एक गहन जुड़ाव था।

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राधा और कृष्ण की उम्र का अंतर

बहुत से लोग यह नहीं जानते कि राधा और कृष्ण की उम्र में पांच साल का अंतर था। राधा, कृष्ण से पांच साल बड़ी थीं। लेकिन उनके प्रेम में यह अंतर कोई बाधा नहीं बना। उनके रिश्ते की सुंदरता इस बात में है कि वह आत्मा का मिलन था, न कि शारीरिक या सांसारिक प्रतिबद्धताओं का।

कृष्ण की प्रियताएं: बांसुरी और राधा

भगवान कृष्ण को दो चीजें सबसे अधिक प्रिय थीं—एक उनकी बांसुरी और दूसरी राधा रानी। कृष्ण की बांसुरी से निकलने वाली मधुर ध्वनि न केवल गोपियों को, बल्कि पूरी प्रकृति को सम्मोहित कर देती थी। राधा भी इस बांसुरी की धुन पर मंत्रमुग्ध हो जाती थीं। यह बांसुरी उनके प्रेम का प्रतीक थी, जो यह दर्शाती है कि सच्चा प्रेम अपने प्रिय के लिए समर्पित और स्वरूपमय होता है।

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राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक

भगवान कृष्ण राधा की याद में हमेशा मोर पंख और वज्रयंती माला धारण करते थे। मोर पंख उनकी निश्छलता और सरलता का प्रतीक है, जबकि वज्रयंती माला उनकी भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। इन प्रतीकों के माध्यम से वे हमेशा राधा को अपने साथ महसूस करते थे।

राधा-कृष्ण का प्रेम: एक आध्यात्मिक संदेश

राधा और कृष्ण का प्रेम सांसारिक प्रेम से ऊपर है। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। राधा-कृष्ण की कथा हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्रेम आत्मा के स्तर पर होता है और यह किसी भी भौतिक बंधन से परे होता है। उनका प्रेम हमें भक्ति, समर्पण और आत्मा की शुद्धता का संदेश देता है।

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राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी केवल एक कथा नहीं, बल्कि जीवन के गहरे सत्य को समझने का माध्यम है। यह हमें सिखाती है कि प्रेम का असली स्वरूप क्या है और कैसे यह हमारी आत्मा को ऊँचाई पर ले जाता है। राधा और कृष्ण का दिव्य प्रेम आज भी हर भक्त के लिए प्रेरणा और भक्ति का स्त्रोत है।

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