Hindi News / Dharam / Imam Hussain Are Remembered On The 5th Day Of Moharram And What Is The Reason Behind This

जानें मोहर्रम के 5वें दिन इमाम हुसैन के किन साथियों को किया जाता है याद? क्या है वजह!

जानें मोहर्रम के 5वें दिन इमाम हुसैन के किन साथियों को किया जाता हैं याद? और क्या हैं इसके पीछे की वजह, Know which companions of Imam Hussain are remembered on the 5th day of Moharram? And what is the reason behind this-IndiaNews

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Moharram: मोहर्रम के 5वें दिन, इमाम हुसैन के कुछ विशेष साथियों को याद किया जाता है जो कर्बला की घटना में उनके साथ थे और जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इस दिन खासतौर पर हज़रत क़ासिम इब्न हसन को याद किया जाता है, जो इमाम हसन के बेटे और इमाम हुसैन के भतीजे थे।

हज़रत क़ासिम इब्न हसन एक युवा योद्धा थे जिन्होंने कर्बला की लड़ाई में बहादुरी से लड़ाई लड़ी और शहीद हुए। उनकी बहादुरी और बलिदान की कहानी इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उनकी उम्र केवल 13 साल थी जब उन्होंने कर्बला में युद्ध किया और शहीद हुए। उनकी शहादत इस बात का प्रतीक है कि कर्बला की लड़ाई सिर्फ पुरुषों की नहीं थी, बल्कि उसमें छोटे बच्चों और युवाओं ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी।

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मोहर्रम के इस दिन को याद करना और उनकी शहादत को सम्मान देना, हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए लड़ाई में उम्र कोई मायने नहीं रखती। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि कर्बला की लड़ाई में शामिल हर शहीद का बलिदान मानवता और सत्य की विजय के लिए था।

मोहर्रम के 5वें दिन, कर्बला के मैदान में शहीद होने वाले अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों को भी याद किया जाता है। इनमें हज़रत क़ासिम इब्न हसन के अलावा निम्नलिखित लोग भी शामिल हैं:

1. हज़रत अब्दुल्लाह इब्न मुसलिम:

अब्दुल्लाह इमाम हुसैन के एक और युवा साथी थे, जो कर्बला में शहीद हुए। वे इमाम हुसैन के कज़िन थे और हज़रत अली की बहन उमे फ़रवा के बेटे थे। उनकी शहादत भी कर्बला की घटनाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

2. हज़रत औन इब्न अब्दुल्लाह:

हज़रत औन इमाम हुसैन के भतीजे थे। उनके पिता अब्दुल्लाह इब्न जाफर थे और माता ज़ैनब थीं। औन भी कर्बला में शहीद हुए और उनकी शहादत ने कर्बला की लड़ाई को और भी दिल को छू लेने वाली बना दी।

3. हज़रत अली अकबर इब्न हुसैन:

हज़रत अली अकबर इमाम हुसैन के बड़े बेटे थे। उनकी उम्र लगभग 18-19 साल थी। वे अपने पिता के साथ कर्बला की लड़ाई में शामिल हुए और वीरता पूर्वक लड़ते हुए शहीद हो गए। उनकी शहादत को इस्लामी इतिहास में उच्च स्थान प्राप्त है और उनकी बहादुरी की कहानियाँ आज भी सुनाई जाती हैं।

4. हज़रत अली असगर (अब्दुल्लाह) इब्न हुसैन:

हज़रत अली असगर इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे थे, जिनकी उम्र मात्र 6 महीने थी। जब पानी की कमी के कारण बच्चों और महिलाओं की हालत बिगड़ने लगी, तो इमाम हुसैन ने अली असगर को दुश्मनों से पानी मांगने के लिए उठाया। इसके बावजूद, वे भी शहीद हो गए। उनकी शहादत कर्बला की सबसे मार्मिक घटनाओं में से एक मानी जाती है।

कर्बला की घटना और मोहर्रम की रस्में हमें यह याद दिलाती हैं कि सच्चाई, न्याय और धार्मिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए कितना बड़ा बलिदान दिया गया था। इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का महत्व इस्लामिक इतिहास में अमिट है और इसे हर साल मोहर्रम के दौरान बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जाता है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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