ADVERTISEMENT
होम / धर्म / अपने भाई कर्ण की मौत की खबर मिलते ही दुर्योधन के मुंह से निकला था ऐसा पहला शब्द कि…?

अपने भाई कर्ण की मौत की खबर मिलते ही दुर्योधन के मुंह से निकला था ऐसा पहला शब्द कि…?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : December 21, 2024, 12:00 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

अपने भाई कर्ण की मौत की खबर मिलते ही दुर्योधन के मुंह से निकला था ऐसा पहला शब्द कि…?

Interesting Facts About Mahabharat: कर्ण की मृत्यु महाभारत युद्ध का एक दुखद और निर्णायक पल था।

India News (इंडिया न्यूज), Interesting Facts About Mahabharat: महाभारत युद्ध के 17वें दिन, जब कर्ण का रथ धरती में धंस गया और अर्जुन के बाणों से उनकी मृत्यु हुई, तो यह न केवल कौरवों के लिए, बल्कि पूरे युद्ध के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। कर्ण की मौत के बाद युद्ध के मैदान में जो घटनाएं घटीं, वह बेहद भावुक और दिल दहला देने वाली थीं, खासकर उनके सबसे अच्छे दोस्त, दुर्योधन के लिए।

कर्ण और दुर्योधन की गहरी मित्रता

कर्ण और दुर्योधन की मित्रता महाभारत की सबसे गहरी और असाधारण दोस्ती में से एक थी। दुर्योधन के लिए कर्ण केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि उसका सबसे विश्वसनीय मित्र और साथी था। दुर्योधन ने हमेशा कर्ण को अपनी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा माना था। कर्ण की वीरता, साहस, और कौरवों के प्रति निष्ठा ने उसे दुर्योधन के लिए आदर्श बना दिया था। कर्ण के साथ अपने रिश्ते की ताकत को महसूस करते हुए, दुर्योधन ने कई बार यह साबित किया था कि कर्ण को लेकर उसका प्यार और सम्मान अडिग था।

नया साल लगते ही पहले दिन मां तुलसी के पौधे में डालें बस ये एक चीज, धन-धान्य की कमी नहीं होने देंगी पूरे साल!

कर्ण की मृत्यु के बाद दुर्योधन का विलाप

कर्ण की मृत्यु का समाचार जब दुर्योधन को मिला, तो वह पूरी तरह से स्तब्ध हो गया था। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका सबसे प्रिय मित्र अब इस दुनिया में नहीं रहा। वह जार-जार रोने लगा और पूरी तरह से भावुक हो गया। उसने अपनी मित्रता के बारे में कहा था:

“मेरे मित्र! तुम्हारे बिना अब मेरा क्या होगा? तुम्हारे बिना मैं कैसे जीऊंगा, कैसे युद्ध करूंगा?”

दुर्योधन के लिए कर्ण न केवल एक योद्धा था, बल्कि एक आत्मीय मित्र और साथी था, जो हर परिस्थिति में उसके साथ खड़ा था। कर्ण की वीरता और त्याग के कारण, दुर्योधन को यह अहसास हुआ कि वह अब अपने सबसे बड़े सहायक के बिना रह जाएगा।

कर्ण की वीरता और दानवीरता का सम्मान

कर्ण की वीरता और दानवीरता की मिसाल महाभारत में दी जाती है। दुर्योधन ने कर्ण की मौत के बाद उसका स्मरण करते हुए कहा था कि “मेरे मित्र से बड़ा दानवीर संसार में कोई नहीं था।” कर्ण ने न केवल युद्ध के मैदान में साहस और वीरता का प्रदर्शन किया, बल्कि अपनी पूरी जिंदगी में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद भी की थी। उनका दान की भावना अति विशाल थी, और उनकी वीरता ने उन्हें पूरे युद्ध क्षेत्र में एक सम्मानित योद्धा बना दिया था।

Today Horoscope: इन 5 चुनिंदा राशियों की होगी आज हर मनोकामना पूरी, हर क्षेत्र में पाएंगे बड़ी सफलता, जानें आज का राशिफल

कर्ण के बारे में यह भी कहा जाता है कि उनके द्वारा किए गए अनगिनत दान और त्यागों ने उन्हें न केवल कौरवों के लिए, बल्कि पांडवों के लिए भी एक आदर्श बना दिया था। उनकी दानवीरता का श्रेय केवल उनके शौर्य को नहीं, बल्कि उनके विशाल हृदय को भी दिया जाता है।

कर्ण का अंतिम संस्कार और श्रीकृष्ण की भूमिका

कर्ण की मृत्यु के बाद, उनका अंतिम संस्कार श्रीकृष्ण ने किया। यह एक अत्यंत विशेष और संवेदनशील क्षण था, क्योंकि श्रीकृष्ण, जो कि पांडवों के मित्र थे, ने अपने विरोधी कौरवों के प्रमुख योद्धा कर्ण की गरिमा को समझते हुए उसका अंतिम संस्कार किया। यह श्रीकृष्ण की महानता और उनके अद्भुत मानवतावाद को दर्शाता है। उन्होंने कर्ण की वीरता और उसकी महानता को सम्मानित करते हुए, युद्ध के बाद भी उसका उचित सम्मान किया, जबकि वह अपने शत्रु का शव था।

साल 2025 में ये 5 राशियां चखेंगी शादी का लड्डू, मिलेगा सपनों जैसा राजकुमार

श्रीकृष्ण ने कर्ण की दानवीरता और वीरता का उच्चतम सम्मान करते हुए उसकी आत्मा को शांति प्रदान की। यह कदम महाभारत के गहरे संदेशों में से एक था, जिसमें मानवता, करुणा और सम्मान को सर्वोपरि माना गया था, भले ही व्यक्ति युद्ध का हिस्सा हो।

कर्ण की मृत्यु महाभारत युद्ध का एक दुखद और निर्णायक पल था। उसकी वीरता, दानवीरता और कौरवों के प्रति निष्ठा ने उसे न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि महाभारत के सम्पूर्ण इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया। दुर्योधन का कर्ण की मौत पर किया गया विलाप, उनकी गहरी मित्रता और दोस्ती का प्रतीक था। कर्ण के अंतिम संस्कार के समय श्रीकृष्ण का सम्मानपूर्ण व्यवहार यह दर्शाता है कि युद्ध और शत्रुता के बीच भी इंसानियत और सम्मान की अपनी अहमियत होती है। कर्ण की वीरता और उसकी दानवीरता हमेशा याद रखी जाएगी, क्योंकि उसने युद्ध के मैदान में अपनी पूरी शक्ति से निभाया था अपना धर्म।

सपने में दिखी अगर ये चीज तो स्वर्ग सा खूबसूरत हो जायेगा जीवन, झट से दूर हो जाएंगी सारी तकलीफें

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

Facts About MahabharatInteresting Facts About MahabharatKarna Death In Mahabharat

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT