Hindi News / Dharam / In Mahabharat Kaal How Was The Cabinet Of Yudhishthir Who Became Maharaja After The War

युद्ध के बाद महाराजा बने युधिष्ठिर का मंत्रिमंडल था इतना खास, प्रत्येक को दिया गया था खास काम?

Yudhishthir ka Mantrimandal: युधिष्ठिर ने अपने मंत्रिमंडल के माध्यम से राज्य के विभिन्न कार्यों को कुशलता से बाँटा और हस्तिनापुर को एक संगठित और शक्तिशाली राज्य के रूप में स्थापित किया।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Yudhishthir ka Mantrimandal: महाभारत के युद्ध के बाद, जब पांडवों ने कौरवों को पराजित कर हस्तिनापुर का राजपाट संभाला, तो युधिष्ठिर का राज्याभिषेक एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस युद्ध ने केवल हस्तिनापुर को ही नहीं, बल्कि पूरे आर्यावर्त को भी एक नया शासन और नई दिशा दी। युधिष्ठिर, जो अपने धर्म और सत्य के लिए जाने जाते थे, ने राजा बनते ही अपने मंत्रिमंडल का गठन किया। इस मंत्रिमंडल में उन्होंने अपने भाइयों और कुछ खास लोगों को विशेष जिम्मेदारियाँ सौंपी, ताकि राज्य का संचालन कुशलतापूर्वक हो सके।

युधिष्ठिर का मंत्रिमंडल: 

 

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भीम: पांडवों में सबसे शक्तिशाली भीम को युवराज बनाया गया। युधिष्ठिर ने भीम को अपना उत्तराधिकारी चुना, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भीम ही भविष्य में हस्तिनापुर के राजा होंगे। भीम का साहस और शक्ति राज्य की सुरक्षा और स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण थी।

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अर्जुन: अर्जुन को शत्रु देशों पर आक्रमण करने और दुष्टों को दंडित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। अर्जुन की युद्ध कौशलता और वीरता को देखते हुए, यह पद उनके लिए सर्वश्रेष्ठ था। उन्होंने राज्य के बाहर से आने वाले खतरों का सामना किया और हस्तिनापुर की सुरक्षा सुनिश्चित की।

विदुरजी: अनुभवी और धर्म के प्रति निष्ठावान विदुरजी को राजकाज संबंधी सलाह देने का काम सौंपा गया। विदुरजी को पड़ोसी राज्यों से संधि, विग्रह जैसी 6 महत्वपूर्ण बातों का निर्णय लेने का अधिकार मिला। विदुरजी का अनुभव और ज्ञान राज्य के लिए अमूल्य था, और उन्होंने युधिष्ठिर को सही मार्गदर्शन दिया।

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नकुल: सेना के संगठन और उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी नकुल को दी गई। नकुल के नेतृत्व में सेना हमेशा तैयार रहती थी, और उन्होंने राज्य की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का ध्यान रखा। नकुल का संगठन कौशल और अनुशासन, सेना की शक्ति को बनाए रखने में सहायक सिद्ध हुआ।

महर्षि धौम्य: ब्राह्मणों और पुरोहितों से जुड़े काम का ख्याल रखने की जिम्मेदारी महर्षि धौम्य को दी गई। धर्म और संस्कारों के पालन के लिए धौम्य की देखरेख में राज्य के धार्मिक कार्य सुव्यवस्थित रूप से चलते रहे।

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सहदेव: सहदेव को युधिष्ठिर ने अपने साथ रखा, जिससे वे राज्य के महत्वपूर्ण निर्णयों में सहयोगी बने रहे। सहदेव की बुद्धिमत्ता और विवेक, युधिष्ठिर के शासन को और भी सशक्त बनाता था।

संजय और युयुत्सु: संजय और युयुत्सु को आजीवन धृतराष्ट्र की सेवा में नियुक्त किया गया। धृतराष्ट्र, जो अब अंधे और वृद्ध हो चुके थे, उन्हें इन दोनों की सेवा और देखभाल की जरूरत थी। युधिष्ठिर ने इस दायित्व को समझते हुए, उन्हें इस सेवा में लगाया।

इस प्रकार, युधिष्ठिर ने अपने मंत्रिमंडल के माध्यम से राज्य के विभिन्न कार्यों को कुशलता से बाँटा और हस्तिनापुर को एक संगठित और शक्तिशाली राज्य के रूप में स्थापित किया। उनका शासन धर्म और न्याय पर आधारित था, और उन्होंने अपने मंत्रियों के सहयोग से हस्तिनापुर को शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर किया।

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