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अर्जुन से क्यों इतनी नफरत करती थी मां गंगा…कि उसकी मौत देख जोर-जोर से लगीं थी हंसने?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : December 21, 2024, 2:00 pm IST
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अर्जुन से क्यों इतनी नफरत करती थी मां गंगा…कि उसकी मौत देख जोर-जोर से लगीं थी हंसने?

In Mahabharat Arjun’s Death Story: भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पुनर्जीवित कर मां गंगा के मायाजाल को समाप्त किया था।

India News (इंडिया न्यूज), In Mahabharat Arjun’s Death Story: महाभारत की कथा में पितामह भीष्म, अर्जुन, शिखंडी और मां गंगा के बीच के ये घटनाक्रम धर्म, नीति और कर्तव्य के जटिल पहलुओं को दर्शाते हैं। इस प्रसंग के माध्यम से हमें पितामह भीष्म की दृढ़ प्रतिज्ञा, अर्जुन की वीरता, शिखंडी की भूमिका और मां गंगा के क्रोध का अद्भुत चित्रण मिलता है।

पितामह भीष्म और शिखंडी का प्रसंग

पितामह भीष्म महाभारत के युद्ध में कौरवों के सेनापति थे और उनकी वीरता और रणनीति के कारण पांडवों के लिए युद्ध जीतना असंभव सा लग रहा था। भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को सुझाव दिया कि शिखंडी को भीष्म के सामने लाया जाए। शिखंडी का जन्म अम्बा के पुनर्जन्म के रूप में हुआ था। अम्बा ने अपने जीवन में भीष्म से प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा ली थी। भीष्म ने प्रतिज्ञा ली थी कि वे किसी स्त्री या स्त्री रूपी व्यक्ति पर शस्त्र नहीं उठाएंगे। शिखंडी को स्त्री मानते हुए उन्होंने उस पर कोई वार नहीं किया।

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अर्जुन और पितामह भीष्म

 

जब शिखंडी पितामह भीष्म के सामने आया, तो भीष्म ने हथियार डाल दिए। उसी समय अर्जुन ने अपने बाणों से पितामह भीष्म पर प्रहार किया और उन्हें बाणों की शैय्या पर गिरा दिया। पितामह भीष्म मां गंगा के पुत्र थे। अपने पुत्र की ऐसी स्थिति देखकर मां गंगा अत्यंत क्रोधित हो गईं। मां गंगा ने अर्जुन को श्राप दिया कि उसकी मृत्यु उसके अपने ही बेटे के हाथों होगी।

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अर्जुन की मृत्यु और पुनर्जीवन

 

मां गंगा ने अपने श्राप को पूरा करने के लिए अर्जुन के पुत्र बब्रुवाहन को भ्रमित कर दिया।

बब्रुवाहन का गुस्सा: मां गंगा के षड्यंत्र के कारण बब्रुवाहन ने अर्जुन का सिर काट दिया।

श्रीकृष्ण का चमत्कार: भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पुनर्जीवित कर मां गंगा के मायाजाल को समाप्त किया।

 

यह कथा न केवल महाभारत की गहनता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि धर्म, प्रतिशोध और ममता के बीच किस प्रकार टकराव हो सकता है। भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका हमें यह सिखाती है कि ईश्वर का मार्गदर्शन हर स्थिति में हमें सही राह दिखाता है। यह घटना महाभारत के उन अनगिनत प्रसंगों में से एक है, जो धर्म, नीति और जीवन के जटिल पहलुओं को समझने का अवसर प्रदान करती है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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