India News (इंडिया न्यूज), Jagannath Rath Yatra: पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन है। इस यात्रा के दौरान, रथ एक विशेष स्थान पर रुकता है जिसे “मजार” कहा जाता है। यह मजार हज़रत सैयद अलाउद्दीन, एक मुस्लिम संत की समाधि है। इस स्थान पर रथ यात्रा के थमने के पीछे कुछ ऐतिहासिक और सांप्रदायिक सद्भावना से जुड़े कारण हैं:
यह मजार हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ इस मजार के सामने थमता है और यहां कुछ समय के लिए रुकता है। यह परंपरा सांप्रदायिक सद्भावना और एकता का संदेश देती है। यह दिखाता है कि धार्मिकता और सम्मान किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों के प्रति आदर भाव आवश्यक है।
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इस मजार के पीछे एक पौराणिक कथा भी है। ऐसा कहा जाता है कि हज़रत सैयद अलाउद्दीन एक धार्मिक और महान आत्मा थे, जिनके प्रति भगवान जगन्नाथ के अनुयायियों का भी गहरा सम्मान था। रथ यात्रा के दौरान मजार के सामने रथ का थमना, इस महान संत के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का एक तरीका है।
यह भी मान्यता है कि इस मजार के सामने रथ के थमने से भक्तों को संत का आशीर्वाद मिलता है। भक्तजन यहां प्रार्थना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं। यह स्थान आस्था और विश्वास का केंद्र है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग श्रद्धा प्रकट करते हैं।
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रथ यात्रा के दौरान यहां रथ थमने का एक धार्मिक अनुष्ठान भी है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह सुनिश्चित करता है कि यात्रा पूरी तरह से पारंपरिक और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार हो।
यह मजार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मानवता, एकता और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का इस मजार के सामने थमना, दोनों समुदायों के बीच प्रेम, आदर और सम्मान को दर्शाता है।
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